तीन दिनों से लापता है AN-32 विमान, एयरक्राफ्ट में लगे थे 14 साल पुराने SOS सिग्नल यूनिट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 5, 2019 06:21 PM2019-06-05T18:21:08+5:302019-06-05T18:21:08+5:30
AN-32 विमान सोमवार (3 जून) को अरुणाचल प्रदेश के मेंचुका के पास लापता हो गया था इस विमान में क्रू मेंबर सहित 13 लोग सवार हैं।
भारतीय वायु सेना (IAF) के रूस निर्मित एएन-32 (AN-32) विमान को तलाशने के अभियान का आज तीसरा दिन है। AN-32 विमान सोमवार (3 जून) को अरुणाचल प्रदेश के मेंचुका के पास लापता हो गया था इस विमान में क्रू मेंबर सहित 13 लोग सवार हैं। विमान ने दोपहर 12.25 बजे जोरहाट से उड़ान भरी थी लेकिन दोपहर 1 बजे के बाद से विमान से कोई संपर्क नहीं हो पाया था।
भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने कहा, "हम अपने पास उपलब्ध सभी संसाधनों को इस विमान को खोजने में लगा रहे हैं। इसके लिए हमने आज राडार, उपग्रह, हेलीकॉप्टरों द्वारा दृश्य और जमीनी गश्त के जरिए बड़े पैमाने पर प्रयास कर रहे हैं।" इस अभियान में बड़ी संख्या में विमानों, हेलीकॉप्टरों और सैनिकों को लगाया गया है। लापता विमान का पता लगाने के लिए सैटेलाइट के जरिए ली गई तस्वीरों की भी मदद ली जा रही है।
अधिकारियों ने बताया कि लापता विमान का पता लगाने के लिए एमआई-17 और थलसेना के एएलएच हेलीकॉप्टरों के अलावा सी-130जे, एएन-32 सहित अत्याधुनिक सेंसरों से लैस विमान और समुद्र में लंबी दूरी तक टोह लेने में सक्षम भारतीय नौसेना के पी-8 मारीटाइम विमान को तैनात किया गया है।
AN-32 में लगी एसओएस सिग्नल 14 साल पुरानी
AN-32 के विमान को तलाशने के दौरान एक अंग्रेजी वेबसाइट ने दावा किया है कि एएन-32 में जो एसओएस सिग्नल यूनिट (SOS Signal Unit) लगी हुई थी वो 14 साल पुरानी है। इसके साथ यह भी पता चला है कि AN-32 में सिंगल इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर(ELT) लगा हुआ था। इसे एसएआरबीई-8 ( SARBE 8) कहते हैं। जिसे बिट्रिश फर्म सिग्नेचर इंडस्ट्री बनाती है। एसएआरबीई-8 को एएन-32 के कार्गो कंपार्टमेंट में इंस्टाल किया गया था। जिससे यह किसी भी परिस्थितियों में सिग्नल भेज सके।
सिग्नेचर इंडस्ट्रीज के बारे में 2004 में एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था, 'SARBE 5, 6,7, 8 मॉडल के ऑर्डर को केवल 5 जनवरी तक ही स्वीकार किया जाएगा। इसकी डिलीवरी 2005 में ही प्लान की गई थी।
प्रेस विज्ञप्ति में यह भी कहा गया था कि इस तरह के इक्विपमेंट का इस्तेमाल जो भी ऑर्गनाइजेशन कर रही है वो इस बात का ध्यान दे कि लोकेटर बीकोन्स के लिए सैटेलाइट मॉनीटरिंग फैसिलिटीज में बदलाव लाने का मतलब है कि पुराने प्रोडक्ट्स 2009 तक पुराने पड़ जाएंगे।
SARBE 8 इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर को SARBE G2R-ELT नामक एक इकाई द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था, जिसे अब 2006 में स्थापित एक अमेरिकी और फ्रांस स्थित कंपनी ओरोलिया द्वारा बेचा गया।