अमशीपुरा फर्जी मुठभेड़ :साल भर बाद भी पिता को बेटे के लिए न्याय का इंतजार

By भाषा | Published: July 29, 2021 05:28 PM2021-07-29T17:28:23+5:302021-07-29T17:28:23+5:30

Amshipura fake encounter: Even after a year, the father is still waiting for justice for the son | अमशीपुरा फर्जी मुठभेड़ :साल भर बाद भी पिता को बेटे के लिए न्याय का इंतजार

अमशीपुरा फर्जी मुठभेड़ :साल भर बाद भी पिता को बेटे के लिए न्याय का इंतजार

(सुमीर कौल)

श्रीनगर, 29 जुलाई दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में सेना के एक अफसर द्वारा एक फर्जी मुठभेड़ में अपने बेटे तथा दो अन्य के मारे जाने के साल भर से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी एक पिता को उसके लिए न्याय का इंतजार है।

इंतजार की यह घड़ी और लंबी हो गई है क्योंकि सेना अपनी आंतरिक जांच पूरी होने के छह महीने बाद भी कानूनी कामकाज को पूरा करने में जुटी हुई है।

सेना के एक अधिकारी द्वारा पिछले साल 18 जुलाई को अंजाम दिये गये इस फर्जी मुठभेड़ में तीन युवक मारे गये थे।

अमशीपुरा मुठभेड़ में तीन युवकों के मारे जाने में संलिप्तता को लेकर सेना द्वारा अपने दो सैनिकों के खिलाफ साक्ष्यों को दर्ज करने का कार्य पूरा कर लिया गया है और इस बारे में संकेत हैं कि एक अधिकारी के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्यवाही शुरू की जाएगी।

वहीं, एक समानांतर जांच में, जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा गठित एक विशेष जांच टीम ने शोपियां जिले के ऊंचाई वाले इलाके में फर्जी मुठभेड़ की यह साजिश रचने और तीन युवकों--जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिला निवासी इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार--की पिछले साल 18 जुलाई को अमशीपुरा में हत्या करने को लेकर कैप्टन भूपेंद्र सिंह सहित तीन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।

अबरार अहमद के पिता मोहम्मद युसूफ ने राजौरी से फोन पर पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मैंने अपना बेटा खो दिया। मैं पहले जांच की गति से बहुत संतुष्ट था लेकिन अब ऐसा लगता है कि मेरी उम्मीद टूटती जा रही है क्योंकि पिछले साल दिसंबर से कोई प्रगति नहीं हुई है। मुझे जम्मू कश्मीर प्रशासन से पांच लाख रुपये मिले। क्या यह मेरे बेकसूर बेटे और अन्य की साजिश के तहत की गई हत्या की कीमत है?’’

हालांकि, सेना ने कहा कि साक्ष्य दर्ज करने का कार्य पूरा हो गया है और अंतिम प्रक्रिया शुरू करने के लिए कागजात जल्द ही आगे बढ़ाए जाने की संभावना है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘हम जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर लेंगे और संबद्ध व्यक्ति भी सेना की हिरासत में है। ’’

युसूफ ने सुबकते हुए कहा कि एक बाप जिसने अपना बेटा खो दिया, उसकी दुर्दशा समझी जानी चाहिए। वह कहते हैं, ‘‘ ईश्वर ना करे , अगर मेरा बेटा कहीं उग्रवादी होता तो अब तक मैं और मेरा पूरा परिवार सलाखों के पीछे होता । लेकिन जब हर कोई कह रहा है कि एक साजिश के तहत उनकी हत्या की गई तब इतनी देर क्यों लग रही है। न्याय में देर होना न्याय नहीं मिलना है। ’’

सेना ने पिछले साल दिसंबर में साक्ष्य दर्ज करने का कार्य पूरा कर लिया था और सेना ने उस वक्त एक बयान जारी कर कहा था कि साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है।

कोर्ट ऑफ इनक्वायरी ने पिछले साल सितंबर में अपनी जांच पूरी की थी और प्रथम दृष्टया यह साक्ष्य पाया था कि सैनिकों ने सशस्त्र बल विशेष अधिकार (आफ्स्पा) अधिनियम के तहत मिली शक्तियों की सीमाएं 18 जुलाई की मुठभेड़ में पार की।

इस बीच, एसआईटी द्वारा दाखिल आरोपपत्र अदालत में लंबित है क्योंकि सेना ने आंतरिक जांच पूरी करने और सेना अधिनियिम के तहत सेना के अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए वक्त मांगा था।

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Web Title: Amshipura fake encounter: Even after a year, the father is still waiting for justice for the son

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