अमित शाह का विवादित बयान, सबरीमाला में महिलाओं को भेजने से पहले मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटवाने की दी दलील
By जनार्दन पाण्डेय | Published: November 30, 2018 04:49 PM2018-11-30T16:49:16+5:302018-11-30T16:50:44+5:30
सबरीमाला लेकर राम मंदिर तक, राफेल विमान की कीमतों से लेकर सीबीआई में दखलअंदाजी तक, वसुंधरा राजे से मतभेदों तक से लेकर ओम प्रकाश राजभर-उपेंद्र कुशवाहा व शिवसेना की नाराजगी तक और इमरान खान की सरकार से उम्मीद और महागंठबंधन से बीजेपी को होने वाले नुकसान तक पर बोले अमित शाह।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक बार फिर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर केरल में दिए अपने बयान को दोहराया है। इतना ही नहीं इस बार उन्होंने मामले को मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने से जोड़ दिया है।
असल में बृहस्पतिवार को अमित शाह ने एबीवी न्यूज के राजनैतिक कार्यक्रम पहुंचे थे। यहां उन्होंने एक घंटेभर का लंबा इंटरव्यू दिया। इसमें उन्होंने बीजेपी, मोदी-शाह आदि से जुड़े कई तीखे सवालों का जवाब दिया।
यहां उन्होंने सबरीमाला लेकर राम मंदिर तक, राफेल विमान की कीमतों से लेकर सीबीआई में दखलअंदाजी तक, वसुंधरा राजे से मतभेदों तक से लेकर ओम प्रकाश राजभर-उपेंद्र कुशवाहा व शिवसेना की नाराजगी तक और इमरान खान की सरकार से उम्मीद और महागंठबंधन से बीजेपी को होने वाले नुकसान तक का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि आगामी चुनाव में वे खुद चुनाव लड़ेंगे या नहीं।
लेकिन इसी बीच उन्होंने सबरीमाला में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अमित शाह ने केरल में इसका विरोध किया था। यह सवाल पूछे जाने पर कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी वे ऐसा क्यों कह रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा कि कुछ बातें भावनाओं पर आधारित होती हैं। हमारा देश भावनाओं का देश है। यहां सबकुछ तार्किक नहीं होता। देश में ऐसे 12 मंदिर है जहां पुरुषों का प्रवेश निषेध है। उनका क्या?
जब साक्षात्कार कर रहे पत्रकार ने अमित शाह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की याद दिलाई तो उन्होंने कहा कि मैं आपको याद दिला देना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने तो मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का भी आदेश दिया था। लेकिन क्या केरल के सीएम ने यह पूरा नहीं कराया। अब वे सबरीमाला मंदिर पर हमारे स्टैंड को लेकर राजनीति कर रहे हैं। लेकिन वे दोहरा चरित्र अपना रहे हैं। बीजेपी भावनाओं की कद्र करती है।
हालांकि अगले ही सवाल पर वे राम मंदिर पर भावनाओं की कद्र करने की बात पर मुकर गए। उन्होंने कहा कि वे संवैधानिक और कोर्ट के फैसले से आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा दोनों अलग मसले हैं। दोनों को जोड़कर नहीं देखा जा सकता। सबरीमाला मात्र से बीजेपी सारे फैसले भावनाओं के आधार पर नहीं करेगी।