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अमेरिका ने भारतीय कृषि में रिफॉर्म का किया समर्थन, जानें इससे US को मिलेगा क्या फायदा

By अनुराग आनंद | Updated: February 4, 2021 15:26 IST

पिछले पांच वर्षों में हमारी औसत कृषि विकास दर तीन प्रतिशत से नीचे रही है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था संकट से जूझ रही है। इसके बावजूद अमेरिका चाहता है कि उसके कृषि उत्पादों के लिए भारत अपने बाजार खोल दे। यही वजह है कि अमेरिका कई तरह से भारतीय कृषि में बदलाव चाहता है।

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ठळक मुद्देअमेरिका के विदेश प्रवक्ता की ओर से कहा गया कि कृषि क्षेत्र को बेहतर करने के किसी भी फैसले का अमेरिका स्वागत करता है।देवेंद्र शर्मा समेत कई कृषि विशेषज्ञ पहले भी बता चुके हैं कि भारत में कृषि क्षेत्र में दिए जाने वाले सब्सिडी को समाप्त करने को लेकर लंबे समय से अमेरिका दवाब बनाता रहा है।

नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश के कई राज्यों के किसान सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज करा रहे हैं। किसान आंदोलन को लेकर मामला इतना आगे बढ़ गया है कि इसपर नवनिर्वाचित अमेरिकी जो बाइडन की सरकार ने भी बयान दिया है। 

अमेरिका ने इस मामले में कहा कि भारत में हो रहा कृषि रिफॉर्म स्वागत योग्य है। अमेरिका की तरफ से विदेश प्रवक्ता ने कहा कि कृषि क्षेत्र को बेहतर करने के किसी भी फैसले का अमेरिका स्वागत करता है।

शांतिपूर्ण तरीके से जारी प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा है: अमेरिका

इसके साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमें लगता है कि शांतिपूर्ण तरीके से जारी प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा है, भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी बात को कहा है।

अगर दोनों पक्षों में मतभेद है तो उसे बातचीत के जरिए हल करना चाहिए। अमेरिका ने जल्द मामले के हल निकालने पर बल देने की बात भी कही है। साथ ही इंटरनेट सेवा को बहाल करने की भी भारत सरकार से अपील की गई है। 

जानें अमेरिका भारत के कृषि क्षेत्र में बदलाव को समर्थन क्यों करता है?

अमेरिका ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर सरकार से जल्द से जल्द हल निकालने की अपील करते हुए इन तीनों कानूनों का समर्थन किया है। ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि आखिर अमेरिका इन तीन नए भारतीय कृषि कानूनों के समर्थन में क्यों है? 

आपको बता दें कि काफी लंबे समय से अमेरिका भारतीय कृषि में रिफॉर्म की वकालत करता है। इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक,  भारतीय कृषि कानूनों व नीतियों में बदलाव के लिए अमेरिका ने मई 2018 में WTO की बैठक में कई देशों के साथ मिलकर भारत पर दबाव भी बनाया था। 

अमेरिका किसानों को लेकर भारत की नीति को दुनिया के लिहाज से व्यापार नीति बर्बाद करने वाला कई दफा पहले भी बता चुका है। अमेरिका जो खुद अपने देश के किसानों को भारी सब्सिडी देता है वह भारतीय किसानों को सब्सिडी नहीं देने के लिए सरकार पर दवाब बनाता है। 

अमेरिका किसानों की सब्सिडी को घटाने की वकालत क्यों करता है?

बता दें कि भारत व अमेरिका के बीच कृषि को लेकर यह व्यापारिक झगड़ा पहले भी कई बार हो चुके हैं। कुछ समय पहले सरकार द्वारा 23 फसलों पर लागत मूल्य का डेढ़ गुना बतौर न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को देना तय हुआ तो अमेरिका ने इसका जमकर विरोध किया।

अमेरिका चाहता है कि भारत किसानों को फसल उपजाने पर कमसे कम सब्सिडी दे। कृषि एक्सपर्ट दवेंद्र शर्मा ने अपने एक लेख में बताया कि इससे भारतीय किसानों की लागत बढ़ने से अनाज की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

ऐसे में नए कानून से अमेरिका जैसे देशों में तैयार अनाज को भारतीय बाजार मिलेगा। वहां के फल, सब्जी व अनाज भारत में आसानी से पहुंच पाएंगे। संभव है कि अमेरिका इन वजहों से ही भारत के तीनों कृषि कानून का समर्थन करता है।

जानें अमेरिका ने कृषि क्षेत्र में बदलाव के लिए भारत पर कैसे दवाब बनाए थे-

गांव कनेक्शन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जब डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर आए थे, तो वह कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खुलवाने की चाहत लेकर आए थे। अमेरिका ने कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खोलने व यहां के कृषि कानूनों में बदलाव के लिए कई अहम फैसले भी लिए थे। इससे भारत सरकार को करारा झटका लगा था।

बता दें कि पिछले पांच वर्षों में हमारी औसत कृषि विकास दर तीन प्रतिशत से नीचे रही है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था संकट से जूझ रही है। इसके बावजूद अमेरिका चाहता है कि उसके कृषि उत्पादों के लिए भारत अपने बाजार खोल दे। 

इस विषय में भारत पर दबाव बनाने के लिए ट्रम्प ने साल 2019 में भारत को 1970 से मिल रहा विशेष व्यापार दर्जा (जीएसपी) भी समाप्त कर दिया था। इतना ही नहीं अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भारत का मिल रहा 'विकासशील देश' का दर्जा भी समाप्त कर दिया था। इससे भारत को विश्व व्यापार में मिलने वाली कुछ अहम विशेष सुविधाएं और अधिकार भी समाप्त हो गए थे।

टॅग्स :किसान आंदोलनअमेरिकाभारतजो बाइडननरेंद्र मोदी
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