अमरनाथ यात्रा: फिर पिघले बाबा बर्फानी, भक्तों में फैली भारी चिंता और निराशा
By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 20, 2022 03:56 PM2022-07-20T15:56:15+5:302022-07-20T16:00:59+5:30
अमरनाथ यात्रा से वापस लौटने वालों के अनुसार जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती जा रही है, हिमलिंग गर्मी से पिघलता जा रहा है और इस कारण भक्तों में निराशा फैल रही है।
जम्मू:अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों को एक बार फिर निराशा का सामना करना पड़ सकता है। 45 किलोमीटर की दुर्गम पैदल यात्रा करने के बाद भी उन्हें 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में हिमलिंग के पूर्ण रूप में दर्शन नहीं होने पर निराशा का सामना करना पड़ सकता है। अमरनाथ यात्रा से वापस लौटने वालों के अनुसार जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती जा रही है, हिमलिंग गर्मी से पिघलता जा रहा है और इस कारण भक्तों में निराशा फैल रही है।
बाबा बर्फानी के पिघलने के पीछे भक्तों की गर्मी को दोषी ठहराया जा रहा है। हालांकि अब अमरनाथ यात्रा स्थापना बोर्ड ने हिमलिंग को बरकरार रखने की खातिर रक्षा अनुसंधान की मदद लेने की बात कर रहे हैं।
‘हर हर महादेव’, ‘बम बम भोले’ और ‘जयकारा वीर बजरंगी’ के नारों के बीच शून्य तापमान तथा प्रकृति की आंख मिचौली के बीच अमरनाथ गुफा में हिम से बनने वाले शिवलिंग के दर्शन करने वालों में एक बार फिर शिविलिंग का आकार चर्चा का विषय बन गया है।
यात्रा के दो सौ सालों के इतिहास में यह लगातार 21वां वर्ष है, जब 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित 60 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी तथा 15 फुट गहरी इस गुफा में बर्फ से बनने वाले शिवलिंग का आकार श्रद्धालुओं की संख्या की बढ़ती संख्या के साथ घटने लगा है।
इस बार 27 जून को शिवलिंग की ऊंचाई करीब 18 से 20 फीट के बीच थी। बताया जा रहा है कि 29 जून को यात्रा के आरंभ होने से पूर्व यह अपने पूर्ण आकार में 22 फीट के करीब था।
शिवलिंग के लगातार घटने के कारण यह उन अमरनाथ यात्रियों के लिए चिंता और चर्चा का विषय है, जो पिछले कई सालों से लगातार इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं।
मालूम हो कि इस गुफा में बनने वाले शिवलिंग के आकार और आकृति में अंतर 1994 से ही आना आरंभ हुआ था, जो अभी तक जारी है। वर्ष 1994 में तो यह श्रावण पूर्णिमा को भी नहीं बना था।
हिमलिंग के आकार में लगातार होने वाले परिवर्तन के लिए मौसम में होने वाले बदलाव के तर्क को अधिकतर लोग सही मान रहे हैं। वे इस बार की यात्रा के दौरान भी मौसम में अचानक होने वाले परिवर्तन को हिमलिंग के आकार में होने वाले परिवर्तन का कारण मान रहे हैं। हालांकि भगवान में अधिक आस्था रखने वाले इसे भगवान की माया कहते तो विज्ञान में विश्वास रखने वाले इसके पीछे वैज्ञानिक कारण मानते हैं।
इस परिवर्तन के लिए चाहे कोई भी कारण बताया जा रहा हो लेकिन तात्कालिक कारण सबको यही लग रहा है कि हिमलिंग के दर्शन करने वालों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। परिणाम हजारों भक्तों तथा उनके हाथों की गर्मी भी हिमलिंग को पिघला रही है। भक्तों की संख्या कितनी है इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यात्रा में 21 दिनों में सवा 2 लाख श्रद्धालु शामिल हो चुके हैं।
हालांकि अमरनाथ यात्रा स्थापना बोर्ड ने अब इसकी पुष्टि की है कि हिमलिंग को अपने पूर्ण आकार में रखने की खातिर उसने रक्षा अनुसंधान विभाग से संपर्क किया है और उससे यह आग्रह किया है कि वह ऐसी तकनीक खोज निकाले, जिससे भक्तों की गर्मी भी हिमलिंग को न पिघला सके।