अमरनाथ यात्राः 70 परसेंट श्रद्धालु कर रहे बिना काफिले के यात्रा, 30 परसेंट के लिए रोडबंदी बना जी का जंजाल 

By सुरेश डुग्गर | Published: July 25, 2019 04:00 PM2019-07-25T16:00:32+5:302019-07-25T16:00:32+5:30

Amarnath Yatra: परेशानियों के दौर से सिर्फ स्थानीय नागरिक ही दो-चार नहीं हो रहे बल्कि वे टूरिस्ट भी बेहाल हैं जो कश्मीर की खूबसूरती को निहारने की खातिर हजारों किमी से हजारों रूपया खर्च करने के उपरांत कश्मीर आ रहे हैं।

Amarnath Yatra: 70 pilgrims visited without convoy | अमरनाथ यात्राः 70 परसेंट श्रद्धालु कर रहे बिना काफिले के यात्रा, 30 परसेंट के लिए रोडबंदी बना जी का जंजाल 

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Highlightsअमरनाथ यात्रा में करीब सवा दो लाख ने बिना किसी सुरक्षा के अर्थात सरकारी तौर पर जम्मू से रवाना होने वाले काफिलों से अलग होकर यात्रा की है।अनंतनाग का रहने वाला जहूर अहमद सवाल करता था कि अगर मुठ्ठी भर श्रद्धालुओं को ही कान्वाय में लेकर जाना होता है तो लाखों लोगों की जान सूली पर कई घंटों तक क्यों टांग दी जाती है।

अभी तक अमरनाथ यात्रा में शामिल हुए सवा तीन लाख के करीब श्रद्धालुओं के प्रति चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इनमें से करीब सवा दो लाख ने बिना किसी सुरक्षा के अर्थात सरकारी तौर पर जम्मू से रवाना होने वाले काफिलों से अलग होकर यात्रा की है। मतलब यह कि मात्र 30 प्रतिशत, अर्थात एक लाख के करीब श्रद्धालुओं के लिए ही रोडबंदी को अंजाम दिया जा रहा है जिससे लखनपुर से लेकर यात्रा के पड़ावस्थलों तक लाखों लोगों को अभी भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

इन परेशानियों के दौर से सिर्फ स्थानीय नागरिक ही दो-चार नहीं हो रहे बल्कि वे टूरिस्ट भी बेहाल हैं जो कश्मीर की खूबसूरती को निहारने की खातिर हजारों किमी से हजारों रूपया खर्च करने के उपरांत कश्मीर आ रहे हैं।

ऐसे में अनंतनाग का रहने वाला जहूर अहमद सवाल करता था कि अगर मुठ्ठी भर श्रद्धालुओं को ही कान्वाय में लेकर जाना होता है तो लाखों लोगों की जान सूली पर कई घंटों तक क्यों टांग दी जाती है। जहूर प्रतिदिन अनंतनाग से श्रीनगर काम करने के लिए आता है और जिस दिन से यात्रा शुरू हुई है उसका दो घंटों का सफर 7 घंटों में बदल गया है।

रोडबंदी और रेलबंदी से कश्मीरी ही नहीं बल्कि जम्मू संभाग के वे हजारों लोग भी त्रस्त हैं जिन्हें राजमार्ग से होकर गुजरना होता है और उन्हें उन लिंक मार्गों पर रोक दिया जाता है जिनके मुहाने पर सेना के बंकरों को स्थापित कर श्रद्धालुओं की सुरक्षा की खातिर आम नागरिकांें को रोका जा रहा है। यह प्रक्रिया 15 अगस्त तक चलेगी जिस दिन अमरनाथ यात्रा खत्म होगी।

जम्मू निवासी 45 साल के अजय खजूरिया पिछले कई सालों से अमरनाथ यात्रा में शामिल हो रहे हैं। वे आज तक किसी काफिले का हिस्सा बन कर यात्रा पर नहीं गए। वे कहते थे कि असुरक्षा का कोई माहौल नहीं है बस हौव्वा खड़ा कर रखा है। उनके मुताकि, काफिले का हिस्सा बनने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इतना जरूर था कि वापसी पर उन्हें भी रोडबंदी का स्वाद जरूर चखना पड़ा था।

Web Title: Amarnath Yatra: 70 pilgrims visited without convoy

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