बिहार से हर दिन एक बच्चे की तस्करी, चौकाने वाले आंकड़े आए सामने

By भाषा | Published: December 9, 2019 07:33 AM2019-12-09T07:33:34+5:302019-12-09T07:33:34+5:30

बिहारः गत अक्टूबर में जारी एनसीआरबी के उक्त आंकड़ों के अनुसार बाल तस्करी के 886 मामलों के साथ राजस्थान पहले स्थान पर है जबकि पश्चिम बंगाल 450 ऐसे मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है।

Almost every day, a Bihar kid gets rescued from the clutches of traffickers says NCRB | बिहार से हर दिन एक बच्चे की तस्करी, चौकाने वाले आंकड़े आए सामने

File Photo

Highlightsबिहार से हर दिन एक बच्चे की तस्करी किए जाने के साथ यह देश में राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद बाल तस्करी के दर्ज प्रकरणों के मामले में तीसरा राज्य बन गया है।एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, बिहार से वर्ष 2017 में 18 वर्ष से कम उम्र के कुल 395 बच्चों की तस्करी की गई।

बिहार से हर दिन एक बच्चे की तस्करी किए जाने के साथ यह देश में राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद बाल तस्करी के दर्ज प्रकरणों के मामले में तीसरा राज्य बन गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, बिहार से वर्ष 2017 में 18 वर्ष से कम उम्र के कुल 395 बच्चों की तस्करी की गई जिनमें 362 लड़के और 33 लड़कियां शामिल थीं। इनमें से 366 से जबरन बाल श्रम कराया गया। इन बच्चों को बरामद कर लिया गया।

गत अक्टूबर में जारी एनसीआरबी के उक्त आंकड़ों के अनुसार बाल तस्करी के 886 मामलों के साथ राजस्थान पहले स्थान पर है जबकि पश्चिम बंगाल 450 ऐसे मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है। बिहार पुलिस ने 2017 में बच्चों की तस्करी करने वालों के खिलाफ 121 प्राथमिकी दर्ज कीं, लेकिन एक भी आरोप-पत्र दायर नहीं किए जाने के कारण कार्यवाही आगे नहीं बढ़ी तथा मामलों का निष्पदान शून्य रहा।

अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक विनय कुमार से बिहार में बाल तस्करी के कम मामले दर्ज होने के बारे में पूछे जाने उन्होंने कहा कि इस प्रदेश से तस्करी किए गए बच्चों के अन्य राज्यों में बरामद किए जाने पर प्राथमिकी संबंधित राज्य में दर्ज की जाती है और वहां से बरामद बच्चों को बिहार लाकर विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत उनका पुनर्वास किया जाता है।

बिहार में बाल तस्करी के 395 मामलों में से, केवल 121 को लेकर ही प्राथमिकी दर्ज किए जाने तथा समय पर आरोपपत्र दायर नहीं किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि आरोपपत्र जांच के बाद दायर किया जाता है जो प्रत्येक मामले के दर्ज होने के तीन महीने के भीतर दायर किया जाता है, लेकिन एनसीआरबी द्वारा साल में केवल एक बार डेटा मांगा जाता है।

राज्य में सीसीटीएमएस तंत्र के वर्तमान में विकसित नहीं होने के कारण समय पर डेटा फीड नहीं हो पाता है। सीसीटीएमएस को लागू करने के लिए काम जारी है। बाल श्रम के खिलाफ काम कर रहे पटना स्थित एक गैर सरकारी संगठन, सेंटर डायरेक्ट के कार्यकारी निदेशक सुरेश कुमार ने कहा कि गरीबी, बाल तस्करी के कारोबार में काफी धन का लगा होना, अंतरराज्यीय समन्वय में कमी तथा कमजोर अभियोजन इसके पीछे मुख्य कारण हैं। 

Web Title: Almost every day, a Bihar kid gets rescued from the clutches of traffickers says NCRB

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे

टॅग्स :Biharबिहार