इलाहाबाद उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला, महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहीं, जानिए पूरा मामला

By भाषा | Published: October 31, 2020 09:43 PM2020-10-31T21:43:46+5:302020-10-31T21:43:46+5:30

“अदालत ने दस्तावेज देखने के बाद पाया कि लड़की ने 29 जून, 2020 को अपना धर्म परिवर्तन किया और एक महीने बाद 31 जुलाई, 2020 को उसने शादी की जिससे स्पष्ट पता चलता है कि यह धर्म परिवर्तन केवल शादी के लिए किया गया।”

Allahabad High Court's decision only conversion marriage not valid whole matter | इलाहाबाद उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला, महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहीं, जानिए पूरा मामला

अदालत ने उस समय इसका जवाब ना में दिया था।

Highlightsजुलाई में शादी की, लेकिन लड़की के परिजन उनकी वैवाहिक जिंदगी में हस्तक्षेप कर रहे हैं। 2014 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा था कि महज शादी के उद्देश्य से धर्म परिवर्तन अस्वीकार्य है। नूर जहां बेगम के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी थी जिसमें विवाहित जोड़े को सुरक्षा मुहैया कराने की प्रार्थना की गई थी।

प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा है कि महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहीं है। अदालत ने यह टिप्पणी उस याचिका को खारिज करते हुए की जिसमें एक नवविवाहित जोड़े ने अदालत से पुलिस और लड़की के पिता को उनकी वैवाहिक जिंदगी में खलल नहीं डालने का निर्देश देने की गुहार लगाई थी।

न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने पिछले महीने प्रियांशी उर्फ समरीन और उसके जीवनसाथी द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया। याचिका में कहा गया था कि उन्होंने इस साल जुलाई में शादी की, लेकिन लड़की के परिजन उनकी वैवाहिक जिंदगी में हस्तक्षेप कर रहे हैं। इस याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा, “अदालत ने दस्तावेज देखने के बाद पाया कि लड़की ने 29 जून, 2020 को अपना धर्म परिवर्तन किया और एक महीने बाद 31 जुलाई, 2020 को उसने शादी की जिससे स्पष्ट पता चलता है कि यह धर्म परिवर्तन केवल शादी के लिए किया गया।”

अदालत ने नूर जहां बेगम के मामले का संदर्भ ग्रहण किया जिसमें 2014 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा था कि महज शादी के उद्देश्य से धर्म परिवर्तन अस्वीकार्य है। नूर जहां बेगम के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी थी जिसमें विवाहित जोड़े को सुरक्षा मुहैया कराने की प्रार्थना की गई थी क्योंकि इस मामले में लड़की हिंदू थी और उसने इस्लाम धर्म अपनाने के बाद निकाह किया था।

उस मामले में अदालत ने पूछा था, “इस्लाम के ज्ञान या इसमें आस्था और विश्वास के बगैर एक मुस्लिम लड़के के इशारे पर एक हिंदू लड़की द्वारा केवल शादी के उद्देश्य से धर्म परिवर्तन करना वैध है?” अदालत ने उस समय इसका जवाब ना में दिया था।

Web Title: Allahabad High Court's decision only conversion marriage not valid whole matter

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