हेमंत सोरेन ने रांची शहर के मोरहाबादी मैदान में रविवार (29 दिसंबर) को आयोजित एक समारोह में झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, आरजेडी विधायक सत्यानंद भोक्ता और वरिष्ठ विधायक आलमगीर आलम ने भी मंत्री पद की शपथ ली। झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रह चुके आलमगीर आलम ने इस बार पाकुड़ सीट से जीत हासिल की है। आलम ने बीजेपी प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता को करीब 65 हजार वोटों से हराया। 52 फीसदी मत पाने वाले आलम को 127868 वोट मिले। झारखंड विधानसभा चुनाव 2014 में आलमगीर आलम इस सीट से 18 हजार वोटों जीते थे। इस बार जीत का अंतर काफी बड़ा रहा और कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताते हुए उनका नाम मंत्री पद के लिए आगे बढ़ा दिया।
आलमगीर आलम का राजनीतिक सफर
आलमगीर आलम चौथी बार पाकुड़ से विधायक चुने गए हैं। मंत्री बने आलमगीर आलम कांग्रेस विधायक नेता भी चुने गए हैं। झारखंड बनने के बाद पहली बार हुए विधानसभा चुनाव 2005 में आलम ने जीत हासिल की थी। हालांकि उन्हें 2009 में अकील अख्तर के हाथों हार का सामना करना पड़ा। 2014 और 2019 में आलम लगातार विधायक बने। इस बार आलम को बेनी के अलावा अकील अख्तर ने आजसू के टिकट पर चुनौती दी थी। अकील अख्तर करीब 40 हजार वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। राजनैतिक परिवार से आने वाले आलमगीर आलम पहली बार 2000 में विधायक बने थे। उन्होंने बीजेपी नेता बेणी प्रसाद गुप्ता को हराया था। आलमगीर आलम के चाचा भी पाकुड़ से विधायक रह चुके हैं।