विस को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के प्रस्ताव पर अकाली दल ने मतदान की मांग की, सदन में हंगामा
By भाषा | Published: September 3, 2021 10:31 PM2021-09-03T22:31:31+5:302021-09-03T22:31:31+5:30
पंजाब विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में शुक्रवार को कुछ देर के लिए शोर-शराबा देखा गया, क्योंकि विपक्षी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने वाले प्रस्ताव पर मतदान की मांग की थी। सिखों के नौवें गुरु, गुरू तेग बहादुर के 400वें 'प्रकाश पर्व' (जयंती) के मौके पर शुक्रवार को राज्य विधानसभा के विशेष सत्र का आयोजन किया गया था। स्मरणोत्सव समारोह के समापन के बाद जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई, तो कार्य मंत्रणा समिति की पहली रिपोर्ट और विधानसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव लाया गया।संसदीय कार्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव पेश किया जिसके बाद शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया खड़े हो गए और कांग्रेस विधायकों के बीच कथित विभाजन का जिक्र करते हुए प्रस्ताव पर मतदान की मांग की।कांग्रेस के विधायकों ने इसका जवाब दिया और सदन में हंगामा हो गया और शोर-शराबे के बीच ही सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। बाद में विधानसभा के बाहर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मजीठिया ने दावा किया कि कांग्रेस दो गुटों में बंट गई है और चार मंत्रियों को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर भरोसा नहीं है।उन्होंने दावा किया कि मत विभाजन से यह सबको पता चल जाता कि कितने विधायक नवजोत सिंह सिद्धू के गुट के साथ है और कितने विधायक अमरिंदर सिंह के साथ खड़े हैं। मजीठिया ने बाद में एक बयान में दावा किया कि राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के लिए सत्र का विस्तार करने से कांग्रेस पार्टी के इनकार ने साबित कर दिया कि न तो सिद्धू और न ही अमरिंदर सिंह पंजाब या उसकी समस्याओं को लेकर गंभीर हैं।सिद्धू और अमरिंदर सिंह के गुटों के बीच सत्ता संघर्ष के बीच एक व्हिप जारी कर कांग्रेस ने अपने विधायकों को विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में शिरकत करने का निर्देश दिया था। इस बीच आम आदमी पार्टी के विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने मांग की कि राज्य के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के लिए विधानसभा का कम से कम 15 दिनों का सत्र बुलाया जाना चाहिए।
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