राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया ने बिना वेतन अवकाश योजना के तहत कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया है। ये योजना लागू करते हुए एयर इंडिया ने कहा कि उसकी वित्तीय स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण है और बिना वेतन अवकाश (एलडब्ल्यूपी) योजना कर्मचारियों और प्रबंधन दोनों के लिए लाभ की स्थिति है। लेकिन इस योजना के लागू होने के बाद एयर इंडिया पायलट एसोसिएशन खुल कर सामने आ गया है। संगठन ने एयर इंडिया पर एकतरफा फैसला करने का आरोप लगाया है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन कॉमर्शियल एसोसिएशन ने एक पत्र में लिखा, '16 जुलाई की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हम पायलट के साथ बातचीत कर रहे हैं लेकिन यह बयान वास्तविकता से परे थे। ये बातचीत नहीं थी बल्कि मंत्रालय की तरफ से फरमान था जो हमें सुना दिया गया था। हम यह कहना चाहते हैं कि ये तथाकथित लाभ की स्थिति दोनों के लिए बिल्कुल लाभप्रद नहीं है।'
इसके जवाब में एयर इंडिया ने कहा कि उन्होंने कर्मचारियों को छूट दी कि वो दूसरी कंपनी में नौकरी खोज सकते हैं। इसी के साथ एयरलाइन भी अपना कैश फ्लो बचा पाएगी। इससे पहले एक बयान में एयर इंडिया ने कहा था कि खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए कंपनी कुछ बड़े फैसले करेगी जिससे फ्लाइट ऑपरेशन को बरकरार रखा जा सके।
क्या है बिना वेतन अवकाश योजना
एयर इंडिया ने बयान में कहा कि यह योजना मुख्य रूप से ‘स्वैच्छिक आधार’ पर कर्मचारियों को अवैतनिक अवकाश पर भेजने से संबंधित है। इससे पहले एयरलाइन ने मंगलवार को आंतरिक आदेश जारी कर सभी विभागीय प्रमुखों तथा क्षेत्रीय निदेशकों से इस योजना के लिए कर्मचारियों की पहचान करने को कहा था।
कर्मचारियों की पहचान दक्षता, स्वास्थ्य और अतिरिक्त संख्या के हिसाब से की जानी है। छांटे गए कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से पांच साल के लिए बिना वेतन अवकाश पर भेजा जाएगा। एयरलाइन ने कहा कि एलडब्ल्यूपी योजना प्रबंधन के साथ-साथ कर्मचारियों के फायदे की भी है।
इससे कर्मचारियों को ‘लचीलापन’ मिलेगा और एयरलाइन का वेतन बिल कम हो सकेगा। एयर इंडिया ने कहा कि इस योजना के तहत प्रबंधन आदेश जारी कर अनिवार्य रूप से अपने कर्मचारियो को छह से दो साल तक बिना वेतन अवकाश पर जाने के लिए कह सकता है। इस अवधि को पांच साल तक बढ़ाया जा सकता।