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कोरोना वायरस दफ्तरों, अस्पतालों, सिनेमाघरों में अब हवा से नहीं फैलेगा! वैज्ञानिकों ने तैयार की है ये खास चीज

By बलवंत तक्षक | Updated: March 23, 2021 07:45 IST

सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों ने एक खास एयर डक्ट बनाया है। ये बंद जगह पर कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने में कारगर है।

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ठळक मुद्देसेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है खास एयर डक्टइस एयर डक्ट को एसी में लगाया जा सकता है, इसे बनाने में तीन हफ्ते का समय लगा हैसाथ ही सीएसआईओ ने पारदर्शी मास्क भी बनाया है, जो बैक्टीरिया या वायरस से बचाव करेगा

चंडीगढ़: अस्पतालों, दफ्तरों, ऑडिटोरियम, सिनेमाघरों या शॉपिंग मॉल्स में अब एसी चलाने से हवा के जरिए वायरस नहीं फैलेगा. सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट ऑर्गनाइजेशन (सीएसआईओ) ने इसकी रोकथाम के लिए एयर डक्ट तैयार किया है, जिसमें किसी भी तरह का वायरस बैक्टीरिया नहीं बचेगा.

इस डक्ट को सामान्य एसी में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यह प्रोडक्ट फ्रंटलाइन वॉरियर्स के लिए बड़ी राहत साबित होगा. यह डक्ट ऐसे लोगों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जहां सौ से ज्यादा लोग बैठते हैं. विदेशों में हुए अध्ययन से यह साबित हो चुका है कि एसी से वायरस फैलता है.

इसी के मद्देनजर सीएसआईओ के वैज्ञानिकों ने यह एयर डक्ट तैयार किया है. डॉ. अनंत रामकृष्णन की टीम को यह डक्ट बनाने में तीन हफ्ते का समय लगा है. करीब साढ़े चार लाख रुपए की कीमत के एयर सैम्पलर को डॉ. रामकृष्णन की टीम ने दस हजार रुपए में ही तैयार कर लिया.

सीएसईओ से इमटेक ने एयर सैंपलिंग से संबंधित अपने प्रोजेक्ट के लिए सस्ते एयर सैंपल बनाने का आग्रह किया था. इमटेक दुनिया का ऐसा पहला संस्थान है, जिसने सबसे पहले हवा में वायरस की मौजूदगी पर काम शुरु किया था. इमटेक के पास अब देशभर से इसकी मांग आने लगी है. देश में इस तरह के करीब एक लाख डिवाइस की जरूरत है. बड़े स्तर पर इसके उत्पादन की दिशा में काम भी शुरु कर दिया गया है.

कोरोना से बचाव अब पारदर्शी मास्क भी

सीएसआईओ ने अब एक ऐसा पारदर्शी मास्क बनाया है, जो बैक्टीरिया वायरस से बचाव करेगा. इसे सामान्य कपड़े की तरह से धोकर दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सकेगा. बायो पॉलीमर होने के कारण यह पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा.

यह मास्क डॉ. सुनीता मेहता ने बनाया है और इसमें उन्हें चार महीने का समय लगा है. डॉ. मेहता का कहना है कि सुनने और बोलने में थोड़े अक्षम लोगों को मास्क पहनने के बाद परेशानी होती थी. उन्हें ज्यादातर हाव-भाव से ही काम चलाना पड़ता था. उन्होंने कहा कि चश्मा पहनने वालों के लिए इसमें एंटी फॉगिंग सॉल्यूशन की कोटिंग की गई है.

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