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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक के राज्य सभा में पास होने पर विपक्ष को ठहराया दोषी, लगाये आरोप 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 31, 2019 10:09 IST

नरेन्द्र मोदी सरकार ने ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019’ को राज्यसभा में 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित करा लिया। 

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ठळक मुद्देविपक्ष के करीब 20 सांसद की अनुपस्थिति पर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों को अब पार्टी को कारण बताना पड़ेगा। अनुपस्थित 20 सांसदों में से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के पांच-पांच सांसद थे।

विवादास्पद तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के पांच-पांच सांसदों सहित विपक्ष के करीब 20 सांसद अनुपस्थित रहे थे। इसी मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना केआर फिरंगी महली ने विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि राज्यसभा में अगर विपक्ष के सभी सांसद उपस्थित होते तो शायद स्थिति कुछ और होती। केआर फिरंगी महली ने राज्य सभा में तीन तलाक का विधयेक पास होने का आरोप विपक्ष पर लगाया है। उन्होंने कहा है कि अगर इतने जरूरी मौके पर आप सदन में अनुपस्थित रहते हैं तो आपको सांसद बने रहने का कोई हक नहीं है। नरेन्द्र मोदी सरकार ने ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019’ को राज्यसभा में 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित करा लिया। 

विपक्ष के करीब 20 सांसद की अनुपस्थिति पर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों को अब पार्टी को कारण बताना पड़ेगा क्योंकि विधेयक पर वोटिंग के दौरान सभी सांसदों की सदन में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस ने व्हिप जारी किया था। 

सूत्रों ने बताया कि विपक्ष के सदस्य अगर सदन में मौजूद होते तो वह विधेयक को प्रवर समिति के पास भिजवा सकता था। कांग्रेस के जो पांच सदस्य गैर हाजिर रहे उनमें विवेक तनखा, प्रताप सिंह बाजवा, मुकुट मिथी और रंजीब बिस्वाल के अलावा संजय सिंह भी हैं। संजय सिंह ने इससे पहले ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। 

कांग्रेस और सपा सदस्यों के अलावा राकांपा के वरिष्ठ नेता शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल भी सदन में अनुपस्थित रहे। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, आईयूएमएल और केरल कांग्रेस के एक- एक सदस्य भी वोटिंग के दौरान गैर हाजिर रहे। वोटिंग के दौरान के टी एस तुलसी भी अनुपस्थित थे जो नामित सदस्य हैं लेकिन वह विधेयक का विरोध करते रहे थे। विपक्षी दल के सदस्यों की गैर हाजिरी के अलावा अन्नाद्रमुक, बसपा और टीआरएस के सदस्य भी सदन में नहीं थे जिससे सरकार ने ऊपरी सदन में इस विधेयक को पारित करा लिया। गौरतलब है कि सत्तारूढ़ दल के पास ऊपरी सदन में बहुमत नहीं है।  

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