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संसद में 'असंसदीय शब्दों' की सूची के बाद पर्चे, तख्तियां और पत्रक पर प्रतिबंध लगा, सांसदों के लिए जारी हुआ नया दिशा-निर्देश

By अनिल शर्मा | Updated: July 16, 2022 11:00 IST

'असंसदीय' शब्दों की एक विवादास्पद सूची के बाद, लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को मानसून सत्र के दौरान सदन में किसी भी पर्चे, पत्रक या तख्तियों के वितरण पर रोक लगाने के लिए एक और दिशा-निर्देश जारी की।

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ठळक मुद्देदिशा निर्देश में कहा गया है कि स्पीकर की पूर्व अनुमति के बिना पर्चे, पत्रक समेत अन्य प्रिंट सामग्री वितरित नहीं किया जाना चाहिए। सचिवालय ने इससे पहले असंसदीय शब्दों की सूची जारी की थी

नई दिल्लीः मानसून सत्र शुरू होने से पहले लोकसभा और राज्य सभा सचिवायल द्वारा संसद सदस्यों के लिए लगातार एडवाइजरी जारी की जा रही है। 'असंसदीय' शब्दों की एक विवादास्पद सूची के बाद, लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को मानसून सत्र के दौरान सदन में किसी भी पर्चे, पत्रक या तख्तियों के वितरण पर रोक लगाने के लिए एक और दिशा-निर्देश जारी की। गौरलतब है कि विरोध प्रदर्शन और धरना की अनुमति नहीं दिए जाने पर संसद परिसर में विपक्ष के हंगामे के जवाब में यह एडवाइजरी आई है।

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक दिशा निर्देश में कहा गया है,“स्थापित परंपरा के अनुसार, कोई भी साहित्य, प्रश्नावली, पर्चे, प्रेस नोट, पत्रक या कोई भी प्रिटेंड या फिर कोई भी चीज सदन के परिसर के अंदर माननीय स्पीकर की पूर्व अनुमति के बिना वितरित नहीं किया जाना चाहिए। संसद के परिसर के अंदर तख्तियां भी सख्ती से प्रतिबंधित कर दी गई हैं।”

पिछले बुलेटिन में सचिवालय ने संसद भवन के परिसर में किसी भी "प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, उपवास या किसी भी धार्मिक समारोहों को करने पर रोक लगा दिया था। जिसकी कांग्रेस ने आलोचना की थी।  कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ट्विटर पर पर कहा कि विषगुरु का एक और फैसला, धरना मना है...।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (CPI-M) के नेता सीताराम येचुरी ने भी फैसले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्वीट किया- "क्या तमाशा है। भारत की आत्मा, उसके लोकतंत्र और उसकी आवाज का गला घोंटने की कोशिश विफल हो जाएगी। ”

पिछले कुछ संसद सत्रों में, विशेष रूप से राज्यसभा में विपक्षी दलों द्वारा भारी हंगामा किया गया, जिन्होंने तख्तियां और पर्चे फाड़े और उन्हें कुर्सी पर फेंक दिया। या तख्तियों के साथ सदन से बाहर चले गए, धरने पर बैठ गए। संसदीय चर्चा को बाधित किया।

लोकसभा सचिवालय ने गुरुवार को दोनों सदनों में असंसदीय माने जाने वाले शब्दों और भावों की सूची की एक संशोधित पुस्तिका जारी की थी। इस सूची ने एक विवाद को जन्म दिया क्योंकि इसमें 'भ्रष्टाचार', 'भ्रष्ट', 'जुमलाजीवी', 'तनाशाह', 'तानाशाह', 'काला' जैसे कुछ बहुत ही सामान्य शब्द शामिल थे।

 

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