MP: मां की मौत के बाद 'मौसी' बाघिन बनी 3 अनाथ शावकों का सहारा, ऐसे कर रही है देखभाल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 21, 2022 02:22 PM2022-08-21T14:22:32+5:302022-08-21T14:28:41+5:30

संजय दुबरी नेशनल पार्क के क्षेत्र निदेशक वाई पी सिंह ने कहना है कि हैरानी के बात यह थी कि टी-28 ने अपनी बहन के इन तीन अनाथ शावकों को न केवल अपनाया बल्कि उन्हें अपने ही शावकों के साथ शिकार करना भी सिखाया है।

After t18 mother death aunt t28 tigress became support 3 orphaned cubs taking care mp sindhi sanjay dubri national park | MP: मां की मौत के बाद 'मौसी' बाघिन बनी 3 अनाथ शावकों का सहारा, ऐसे कर रही है देखभाल

फोटो सोर्स: ANI

Highlightsमध्य प्रदेश के संजय दुबरी नेशनल पार्क में एक बाघिन की मौत हो गई थी। इसके बाद ‘टी-28’ नामक 'मौसी' बाघिन ने उसके शावकों को सहारा दिया है। वह उनका पालन-पोसन कर रही है और उन्हें अपने शावकों के साथ रख रही है।

भोपाल: ‘टाइगर स्टेट’ मध्य प्रदेश के जंगल में एक बाघिन में मातृत्व का दुर्लभ गुण देखा गया है। ‘टी-28’ नामक बाघिन यहां न केवल अपने शावकों का पालन-पोषण कर रही है, बल्कि अपनी मृत बहन ‘टी-18’ के तीन शावकों की भी देखभाल करके एवं उन्हें जंगल में शिकार का प्रशिक्षण देकर ‘मौसी’ होने का फर्ज भी निभा रही है। 

‘मौसी’ बाघिन ने निभाया मौसी का फर्ज

‘मौसी’ (मां की बहन) बाघिन टी-28 ने अपने शावकों के साथ-साथ अपनी बहन के शावकों की देखभाल करके मध्य प्रदेश के सीधी जिले के संजय दुबरी राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य में सभी का ध्यान अपने ओर खींचा है। बाघिन टी-18 से जन्मे चार शावकों के लिए जन्म के बाद ही जीवन का सफर कठिन हो गया, जब उनकी मां की एक ट्रेन हादसे में मौत हो गई। 

मां की मौत के बाद एक शावक जंगल के एक व्यस्क बाघ का शिकार बन गया। इसके बाद टी-18 के तीन बचे शावकों को उनकी मौसी ने अपना लिया और वह उन्हें जीवन जीने के लिए जंगल के तौर तरीके सिखाने लगी। 

क्षेत्र निदेशक ने क्या बोला

संजय दुबरी बाघ अभयारण्य के क्षेत्र निदेशक वाई पी सिंह ने कहा, ‘‘हमें सूचना मिली थी कि इस साल 16 मार्च को दुबरी रेंज के रिजर्व कोर एरिया में रेलवे पटरी के पास एक बाघिन घायल पड़ी है। वन विभाग का दल मौके पर पहुंचा और पाया कि यह बाघिन टी-18 थी।’’ 

उन्होंने कहा कि घायल टी-18 को उपचार के बाद पिंजरे से रिहा कर दिया गया, लेकिन बाघिन हिल भी नहीं पा रही थी और अंतत: कुछ घंटों बाद उसकी मौत हो गई। 

टी-18 की मृत्यु के बाद हमारी चिंता उसके चार शावकों की थी- वाई पी सिंह

मामले में सिंह ने आगे कहा, ‘‘इसके बाद हमारी सबसे बड़ी चिंता टी-18 के चार शावकों की सुरक्षा को लेकर थी, जो उस वक्त नौ महीने के थे। इन शावकों की निगरानी के लिए हाथियों पर चढ़कर गश्त करने वाले दलों को तैनात किया गया और शावकों को शिकार मुहैया कराया गया, लेकिन दुर्भाग्य से एक वयस्क बाघ ने इनमें से एक शावक को मार डाला।’’ 

अधिकारी ने कहा कि इस घटना ने शेष बचे तीन शावकों के लिए चिंता और बढ़ा दी, क्योंकि जिस क्षेत्र में टी-18 के शावक रहते थे, उसी इलाके में वयस्क बाघ टी-26 विचरण करता था। 

4 बाघिन ने 8 महीने में 13 शावकों को दिया जन्म

सिंह ने कहा कि बाघिन ‘टी-11’ यानी कमली ने पहली बार गर्भवती होने पर टी-18, टी-16 (बाघ) और टी-17 (बाघिन) को जन्म दिया था, जबकि उसने दूसरी बार गर्भवती होने पर बाघिनों टी-28 और टी-29 को जन्म दिया था। उन्होंने कहा कि टी-18 को पहली बार पिछले साल जून में उसके चार शावकों के साथ देखा गया था जबकि उसकी बहन टी-17 ने अक्टूबर 2021 के आसपास तीन शावकों को जन्म दिया था। 

इसी तरह उसकी अन्य बहनों टी-28 और टी-29 ने भी अक्टूबर और इस साल जनवरी में क्रमश: तीन-तीन शावकों को जन्म दिया। इस प्रकार कमली के कुनबे की टी-18 सहित चार बाघिन ने आठ महीने की अवधि में 13 शावकों को जन्म दिया। 

मौसी टी-28 ने इन शावकों को अपनाया और शिकार करना सिखाया

सिंह ने कहा कि टी-18 की मौत और एक वयस्क बाघ द्वारा उसके चार में से एक शावक को मार दिए जाने के बाद शेष बचे तीन शावकों को शुरू में बाघिन टी-17 और उसके छोटे शावकों के साथ देखा गया। इससे अभयारण्य प्रबंधन को राहत मिली, जो बिन मां के शावकों की लगातार निगरानी कर रहा था। 

इस पर उन्होंने आगे कहा, ‘‘लेकिन ये शावक अगले ही दिन टी-17 से अलग हो गए। करीब 10 दिन की निगरानी के बाद टी-18 के इन अनाथ शावकों को उनकी एक और मौसी टी-28 के साथ देखा गया।’’ उन्होंने कहा कि हैरानी के बात यह थी कि टी-28 ने अपनी बहन के इन तीन अनाथ शावकों को न केवल अपनाया बल्कि उन्हें अपने ही शावकों के साथ शिकार करना भी सिखाया। 

सिंह ने कहा, ‘‘अब टी-18 के ये शावक अपनी मौसी टी-28 द्वारा प्रशिक्षित होने के बाद स्वतंत्र रुप से शिकार करने में सक्षम हैं और वे अपने अन्य भाई-बहनों के साथ अपना शिकार साझा करते हैं।’’ उन्होंने बताया कि 2006 में राष्ट्रीय उद्यान को बाघ अभयारण्य घोषित किया गया और इसमें संजय राष्ट्रीय उद्यान एवं संजय दुबरी बाघ अभयारण्य शामिल है। 

फिलहाल यहां इतने-इतने जानवर है

सिंह ने बताया कि वर्तमान में संजय दुबरी बाघ अभयारण्य में 19 शावक (एक वर्ष के कम आयु के), छह उप वयस्क (एक से दो वर्ष के बीच) और 17 वयस्क (दो वर्ष से अधिक)-आठ नर और नौ मादा बाघ हैं। वर्ष 2018 की बाघ अनुमान रिपोर्ट के समय यह संख्या छह थी। 

2018 में मध्य प्रदेश बना देश का ‘‘टाइगर स्टेट’’ 

मध्य प्रदेश ने 2018 की गणना में देश का ‘‘टाइगर स्टेट’’ होने का प्रतिष्ठित तमगा हासिल किया है। अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में 526 बाघ हैं जोकि देश के किसी भी राज्य के मुकाबले सबसे अधिक हैं। 

मध्य प्रदेश में कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना और संजय दुबरी जैसे आधा दर्जन बाघ अभयारण्य हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की वेबसाइट के मुताबिक प्रदेश में इस साल अब तक (जुलाई अंत तक) 27 बाघों की मौत हो चुकी है। 

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