दिल्ली के मरकज में हुई घटना के बाद सहमा बिहार, कार्यक्रम में शामिल होने वाले 86 लोगों की हो रही तलाश
By एस पी सिन्हा | Published: April 1, 2020 07:40 AM2020-04-01T07:40:13+5:302020-04-01T07:40:13+5:30
प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार लौटे इन लोगों की तलाश शुरू कर दी गई है. मरकज में शामिल होने के बाद ये लोग मुम्बई, दिल्ली और फिर पटना आये थे. पटना में ये लोग पीरबहोर में स्थित मस्जिद में ठहरे थे. वहीं 10 लोग अररिया में पहुंचे थे. ये सभी मलेशिया से आए हैं. इनमें से एक की मौत गुरुवार को हो गई थी. लेकिन जिलाधिकारी, अररिया ने इसे ने नेचुरल डेथ बताया था. नौ लोग अभी जामा मस्जिद में हैं.
दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन इलाके के मरकज मस्जिद द्वारा आयोजित तबलीगी जमात से लौटे 10 लोगों की हुई कोरोनावायरस के कारण मौत के बाद बिहार में भी हड़कंप मच गया है. कहा जा रहा है कि उस मरकज में बिहार के भी करीब 86 लोग शामिल हुए थे. अब इन सबको पुलिस तलाश रही है और इनके बारे में पूरी जानकारी ली जा रही है. ये सभी लोग मरकज में शामिल होने के बाद बिहार के अलग-अलग जगहों पर गए थे. इसकी जानकारी मिलते हीं सरकार के हांथ-पांव फूलने लगे हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार लौटे इन लोगों की तलाश शुरू कर दी गई है. मरकज में शामिल होने के बाद ये लोग मुम्बई, दिल्ली और फिर पटना आये थे. पटना में ये लोग पीरबहोर में स्थित मस्जिद में ठहरे थे. वहीं 10 लोग अररिया में पहुंचे थे. ये सभी मलेशिया से आए हैं. इनमें से एक की मौत गुरुवार को हो गई थी. लेकिन जिलाधिकारी, अररिया ने इसे ने नेचुरल डेथ बताया था. नौ लोग अभी जामा मस्जिद में हैं.
वहीं, बांका मे 27 लोग विदेश से आए हैं, जिसकी जांच की जा रही है. जबकि 10 की जांच के बाद जांच किट खत्म होने के कारण शेष की जांच नही हो पाई है. सभी का डाटाबेस बनाया गया है. वहीं, किशनगंज में 13 लोग पहुंचे थे, जिसमें 10 इंडोनेशिया, एक मलेशिया के और दो भारतीय हैं. बताया जा रहा है कि 22 मार्च को अवध असम एक्सप्रेस से किशनगंज पहुंचे ये सभी लोग 1 मार्च को तब्लीगी जमात(निजामुद्दीन) में शरीक हुए थे. जहां से 21 मार्च को 13 लोग किशनगंज रवाना हुए. इन्हें शहर के खानकाह मस्जिद में सबको क्वारंटाइन किया गया है. मेडिकल टीम प्रतिदिन फॉलोअप कर रही है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार फिलहाल सभी स्वस्थ हैं.
बताया जाता है कि तबलीगी जमात के मरकज से ही अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें निकलती है. इनमें कम से कम तीन दिन, पांच दिन, दस दिन, 40 दिन और चार महीने तक की जमातें निकाली जाती हैं. अभी मुख्य सचिव ने भी स्वीकार किया कि 10 लोग किशनगंज में हैं, वहां उनकी जांच कराई जाएगी. उधर, फुलवारीशरीफ में भी 7 लोग हैं, जिनका ब्लड सैंपल लिया गया है. कहा जा रहा है कि आयोजन के दौरान ही इनमें कोरोना के शुरूआती लक्षण दिखे थे. ठीक इसी प्रकार का मामला बिहार की राजधानी पटना में भी आया था. करीब एक हफ्ते पहले ही पटना के कुर्जी इलाके में ऐसे ही एक मामले ने लोगों को परेशानी में डाल दिया था.
उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले राजधानी पटना के कुर्जी इलाके में स्थित एक मस्जिद से पुलिस ने कुछ दिनों पहले 10 विदेशी धार्मिक उपदेशकों को हिरासत में लिया था. इसके अलावा अन्य दो भारतीयों को भी हिरासत में लिया गया था. कोरोना वायरस संबंधी जांच के लिए उन्हें एम्स भेजा गया था. हालांकि रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया था. इनमें किर्गिस्तान से आए 10 धार्मिक उपदेशक और उत्तर प्रदेश निवासी दो लोग शामिल थे. बता दें कि पटना के पीरबहोर में तबलीगी जमात का मुख्यालय है.
जानकारों के अनुसार तब्लीगी जमात के एक जमात में आठ से दस लोग शामिल होते हैं. इनमें दो लोग सेवा के लिए होते हैं जो कि खाना बनाते हैं. जमात में शामिल लोग सुबह-शाम शहर में निकलते हैं और लोगों से नजदीकी मस्जिद में पहुंचने के लिए कहते हैं. सुबह 10 बजे ये हदीस पढ़ते हैं और नमाज पढ़ते हैं. लोगों का इस्लाम पर विश्वास बढ़े, इस पर इनका ज्यादा जोर होता है, ऐसी बातों का प्रचार करते हैं. इस तरह से ये अलग इलाकों में इस्लाम का प्रचार करते हैं.