बिहार के बाद क्या झारखंड में भी खिलेगा ’कमल’? कांग्रेस विधायकों की नाराजगी के बीच चर्चाओं का बाजार हुआ गरम
By एस पी सिन्हा | Published: February 18, 2024 02:21 PM2024-02-18T14:21:39+5:302024-02-18T14:21:39+5:30
कांग्रेस के 12 विधायकों की नाराजगी से चंपई सरकार एक बार फिर से फंसती हुई नजर आ रही है। चंपई सोरेन मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस के 8 विधायक अब दिल्ली पहुंच चुके हैं। नाराज विधायकों की मांग है कि कांग्रेस कोटे से मंत्री बनने वाले चारों विधायकों को सरकार से बाहर किया जाए और नए लोगों को मौका मिले।
रांची: लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड में भी कांग्रेस में बड़ी टूट होने के संकेत मिल रहे हैं। इसका खामियाजा मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, चंपई सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कांग्रेस विधायकों के बीच भाजपा का भी 'ऑपरेशन लोटस' शुरू होने की चर्चा है। ऐसे में राज्य में बजट सत्र से पहले सियासी पारा एक बार फिर से चढ़ गया है। कांग्रेस के 12 विधायकों की नाराजगी से चंपई सरकार एक बार फिर से फंसती हुई नजर आ रही है। चंपई सोरेन मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस के 8 विधायक अब दिल्ली पहुंच चुके हैं। नाराज विधायकों की मांग है कि कांग्रेस कोटे से मंत्री बनने वाले चारों विधायकों को सरकार से बाहर किया जाए और नए लोगों को मौका मिले।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली पहुंचे कांग्रेस विधायक पार्टी आलाकमान के सामने अपनी मांगे रखेंगे, अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह आगे की रणनीति पर विचार करेंगे। नाराज विधायकों की मांग है कि एक व्यक्ति, एक पद के फार्मूले तहत जिम्मेदारी दी जाए और प्रमंडल वार चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिले।मंत्री आलमगीर सहित तीनों मंत्रियों को जल्द हटाया जाए और सत्र के बाद चारों मंत्रियों का शपथ होना चाहिए। इसके साथ ही पांचवां मंत्री कांग्रेस से होने की मांग की जा रही है। उधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन के बेटे और राज्य के नए-नए मंत्री बने बसंत सोरेन खुद शनिवार को कांग्रेस विधायकों को मनाने के लिए पहुंचे थे, लेकिन बात नहीं बन सकी थी।
नाराज विधायकों ने साफ कहा कि वह चंपई सोरेन की सरकार या महागठबंधन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से कांग्रेस कोटे से पुराने मंत्रियों को ही दोबारा मंत्री पद की शपथ दिलाई गई, वह गलत है। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान के सामने बड़ी विकट समस्या खड़ी हो गई है। अभी जिन नेताओं को सरकार में मंत्री पद मिला है, वह सभी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। अगर कांग्रेस आलाकमान उन्हें मंत्री की कुर्सी से उतारते हैं, तो उनके नाराज होने का खतरा बढ़ जाएगा। उधर कांग्रेस के 12 विधायकों के साथ झामुमो विधायक बैद्यनाथ राम भी नाराज बताए जा रहे हैं। अगर नाराज विधायकों ने पाला बदल लिया तो सरकार फिर से अल्पमत में आ जाएगी।
कांग्रेस के सभी नाराज विधायकों ने चंपई सोरेन की सरकार के बजट सत्र में शामिल होने से इनकार कर दिया है। ऐसी परिस्थितियों में सत्ता परिवर्तन की संभावनाएं बनती दिख रही है। अगर सत्ता परिवर्तन होता है तो बिहार के बाद झारखंड का बजट भी भाजपा नेतृत्व की एनडीए सरकार पेश कर सकती है। उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा में सदस्यों की संख्या 81 है। इसमें सत्ताधारी गठबंधन के पास 47 विधायकों का समर्थन हासिल है।
इन 47 विधायकों में झारखंड मुक्ति मोर्चा के 29, कांग्रेस के 17 और एक विधायक राजद का है। चंपई सोरेन सरकार के विश्वासमत के दौरान विपक्ष को 29 वोट मिले थे। इसमें 26 विधायकों के साथ भाजपा दूसरी बड़ी पार्टी है। आजसू के तीन, एनसीपी (अजित पवार गुट) के एक और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी भाजपा के साथ है। कांग्रेस के 12 विधायकों के साथ झामुमो विधायक बैद्यनाथ राम भी अगर पाला बदल लेते हैं तो चंपई सोरेन सरकार अल्पमत में आ जाएगी। इसके बाद भाजपा का कमल खिलने से इंकार नहीं किया जा सकता।