लाइव न्यूज़ :

सुप्रीम कोर्ट ने कहा-तेजाब से हमला है बर्बर अपराध, किसी भी प्रकार की नहीं बरती जानी चाहिए नरमी

By भाषा | Updated: March 18, 2019 20:11 IST

शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश सरकार को भी निर्देश दिया कि वह पीड़ित मुआवजा योजना के तहत तेजाब हमले की पीड़ित को मुआवजा दे। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा, ‘‘निश्चित ही, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इस मामले में प्रतिवादियों (दोनों दोषियों) ने पीड़ित के साथ बर्बर और हृदयहीन अपराध किया और इसलिए उनके प्रति नरमी सोचने के लिये कोई गुंजाइश ही नहीं है।’’ 

Open in App

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि तेजाब से हमला एक ‘‘बर्बर और हृदयहीन अपराध’’ है जिसके लिये किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जा सकती। शीर्ष अदालत ने करीब 15 साल पहले 2004 में 19 वर्षीय लड़की पर तेजाब फेंकने के अपराध में पांच साल जेल में गुजारने वाले दो दोषियों को आदेश दिया कि वे पीड़ित लड़की को डेढ़ डेढ़ लाख रूपए का अतिरिक्त मुआवजा भी दें। 

शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश सरकार को भी निर्देश दिया कि वह पीड़ित मुआवजा योजना के तहत तेजाब हमले की पीड़ित को मुआवजा दे। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा, ‘‘निश्चित ही, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इस मामले में प्रतिवादियों (दोनों दोषियों) ने पीड़ित के साथ बर्बर और हृदयहीन अपराध किया और इसलिए उनके प्रति नरमी सोचने के लिये कोई गुंजाइश ही नहीं है।’’ 

पीठ ने कहा कि इस तरह के अपराध के मामले में किसी प्रकार की नरमी नहीं की जा सकती है। यह न्यायालय इस स्थिति से बेखबर नहीं रह सकता कि पीड़ित को इस हमले से जो भावनात्मक आघात पहुंचा है उसका भरपाई दोषियों को सजा देने या फिर किसी भी मुआवजे से नहीं की जा सकती है।

न्यायालय ने दोनों दोषियों की दस दस साल की सजा घटाकर पांच पांच साल करने के हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के 24 मार्च, 2008 के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर यह निर्णय सुनाया।

पीड़ित के अनुसार वह 12 जुलाई, 2004 को अपने कालेज जा रही थी तभी दुपहिया वाहन पर दो व्यक्ति आये और उस पर तेजाब फेंक कर भाग गये। इस हमले में वह 16 फीसदी तक झुलस गयी।

पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था और निचली अदालत ने उन्हें दस दस साल की कैद और पांच-पांच हजार रूपए जुर्माने की सजा सुनायी थी। लेकिन, बाद में उच्च न्यायालय ने उनकी कैद की सजा घटाकर पांच पांच साल और जुर्माने की राशि 25-25 हजार रूपए कर दी थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ित तेजाब के इस हमले में 16 प्रतिशत तक जल गयी थी और यह उसकी जिंदगी का एक काला अध्याय है। न्यायालय को बताया गया कि दोनों ही दोषी पांच पांच साल की सजा पूरी कर चुके हैं और उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेशानुसार जुर्माने की राशि का भी भुगतान कर दिया है और पिछले साल नौ दिसंबर को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया है। 

पीठ ने कहा कि दोनों दोषियों को दोषी ठहराने के उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और उसने उन्हें पीड़ित को डेढ़-डेढ़ लाख रूपए का अतिरिक्त मुआवजा अदा करने का आदेश दिया।

टॅग्स :सुप्रीम कोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

भारतSupreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

भारतआपको बता दूं, मैं यहां सबसे छोटे... सबसे गरीब पक्षकार के लिए हूं, जरूरत पड़ी तो मध्य रात्रि तक यहां बैठूंगा, प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत

भारतसुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन समय रैना को सफलता की कहानियों वाले दिव्यांग लोगों को शो में बुलाने और इलाज के लिए पैसे जुटाने का दिया निर्देश

भारत"कोर्ट के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है...", दिल्ली में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत