जीएसटी के रूप में सरकार को मिले 14.83 लाख करोड़ में से 64 प्रतिशत हिस्सा नीचे की 50 प्रतिशत जनसंख्या से मिला, अमीरों ने दिया सिर्फ 3 प्रतिशत, रिपोर्ट में खुलासा
By शिवेंद्र राय | Published: January 17, 2023 06:03 PM2023-01-17T18:03:03+5:302023-01-17T18:05:18+5:30
ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 14.83 लाख करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में प्राप्त हुए। इसमें से 64 प्रतिशत हिस्सा नीचे की 50 प्रतिशत जनसंख्या से मिला जबकि जबकि ऊपर के 10 प्रतिशत अमीरों से मात्र 3 प्रतिशत जीएसटी का हिस्सा प्राप्त हुआ।
नई दिल्ली: भारत में जीएसटी के रूप में कर देने वाले करदाता वर्ग को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र सरकार को वित्तीय वर्ष 2021-22 में 14.83 लाख करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में प्राप्त हुए। इसमें से 64 प्रतिशत हिस्सा नीचे की 50 प्रतिशत जनसंख्या से मिला जबकि जबकि ऊपर के 10 प्रतिशत अमीरों से मात्र 3 प्रतिशत जीएसटी का हिस्सा प्राप्त हुआ।
ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट 'सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी' में ये भी कहा गया है कि भारत के 21 सबसे अमीर अरबपतियों के पास मौजूदा समय में देश के 70 करोड़ लोगों से ज्यादा दौलत है। रिपोर्ट बताती है कि भारत के एक प्रतिशत अमीर लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि निचले स्तर की आधी आबादी के पास देश की केवल 3 प्रतिशत संपत्ति है।
रिपोर्ट में भारत में तेजी से बढ़ रही अरबपतियों की संख्या का भी जिक्र है। भारत में अरबपतियों की कुल संख्या साल 2020 में 102 थी जो 2021 में बढ़कर 142 और 2022 में 166 हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से नवंबर 2021 तक जहां अधिकतर भारतीयों को नौकरी संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा और पैसे बचाने के लिए जूझना पड़ा, वहीं नवंबर 2022 तक भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में 121 प्रतिशत का इजाफा देखा गया। कोरोना महामारी के दौर में भी भारत के अरबपतियों की दौलत में 3 हजार 608 करोड़ रुपये हर दिन बढ़े हैं।
ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 में भारत के 100 सबसे अमीर लोगों के पास 54.12 लाख करोड़ की संपत्ति थी। इतने पैसे से भारत के पूरे केंद्रीय बजट को 18 महीने से अधिक समय के लिए फंड किया जा सकता है। भारत के टैक्स सिस्टम को लेकर ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि टैक्स सिस्टम को प्रगतिशील नहीं बनाया गया तो इससे देश में आर्थिक असमानताएं और बढ़ेंगी।