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62th Mann Ki Baat: नरेंद्र मोदी बोले- बेटियां तोड़ रही हैं पुरानी बंदिशें , नई ऊंचाई कर रही हैं प्राप्त, पढ़ें पीएम के 'मन की बात'

By रामदीप मिश्रा | Updated: February 23, 2020 11:41 IST

62th Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे देश की महान परम्परायें हैं। हमारे पूर्वजों ने हमें जो विरासत में दिया है, जो शिक्षा और दीक्षा हमें मिली है जिसमें जीव-मात्र के प्रति दया का भाव, प्रकृति के प्रति अपार प्रेम, ये सारी बातें, हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल की दूसरी 'मन की बात' लोगों से की। इस बार कार्यक्रम का प्रसारण पूर्वाह्न 11 बजे से किया गया। पिछले महीने प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस की शाम को 'मन की बात' की थी। यह प्रधानमंत्री मोदी की 62वीं 'मन की बात' कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम की शुरुआत में पीएम ने हुनर हार्ट का जिक्र किया है। 62th Mann Ki Baat का लाइव अपडेट- वैसे साथियो, बारह साल की बेटी काम्या की सफलता के बाद, आप जब, 105 वर्ष की भागीरथी अम्मा की सफलता की कहानी सुनेंगे तो और हैरान हो जाएंगे। साथियो, अगर हम जीवन में प्रगति करना चाहते हैं, विकास करना चाहते हैं, कुछ कर गुजरना चाहते हैं, तो पहली शर्त यही होती है, कि हमारे भीतर का विद्यार्थी, कभी मरना नहीं चाहिए। भागीरथी अम्मा जैसे लोग, इस देश की ताकत हैं।  प्रेरणा की एक बहुत बड़ी स्रोत हैं। मैं आज विशेष-रूप से भागीरथी अम्मा को प्रणाम करता हूँ। साथियों, जीवन के विपरीत समय में हमारा हौसला, हमारी इच्छा-शक्ति किसी भी परिस्थिति को बदल देती है। ऐसी ही संकल्प शक्ति, गुजरात के, कच्छ इलाके में, अजरक गाँव के लोगों ने भी दिखाई है।अब आसमां ही मंज़िल है! अपने आस पास हमें अनेकों ऐसे उदाहरण मिलते हैं।  जिनसे पता चलता है कि बेटियाँ किस तरह पुरानी बंदिशों को तोड़ रही हैं, नई ऊँचाई प्राप्त कर रही हैं। हर भारतीय को ये बात छू जायेगी कि जब इस महीने की शुरुआत में काम्या ने चोटी को फ़तेह किया और सबसे पहले, वहाँ, हमारा तिरंगा फहराया। वैसे, काम्या की उपलब्धि सभी को फिट  रहने के लिए भी प्रेरित करती है। इतनी कम उम्र में, काम्या, जिस ऊँचाई पर पहुंची है, उसमें फिटनेस का भी बहुत बड़ा योगदान है। एक तरफ जहाँ ऊँचे - ऊँचे पहाड़ हैं तो वहीँ दूसरी तरफ, दूर-दूर तक फैला रेगिस्तान है। एक ओर जहाँ घने जंगलों का बसेरा है, तो वहीँ दूसरी ओर समुद्र का असीम विस्तार है। - मेरे प्यारे देशवासियो, हमारा नया भारत, अब पुरानी चीजों के साथ चलने को तैयार नहीं है। लेकिन, आज पूर्णिया की महिलाओं ने एक नई शुरुआत की और पूरी तस्वीर ही बदल कर के रख दी। आपको जान करके हैरानी होगी कि पहले जिस कोकून को बेचकर मामूली रकम मिलती थी, वहीँ अब, उससे बनी साड़ियाँ हजारो रुपयों में बिक रही हैं। इन महिलाओं ने सरकार के सहयोग से, मलबरी-उत्पादन समूह बनाए। इसके बाद उन्होंने कोकून से रेशम के धागे तैयार किये और फिर उन धागों से खुद ही साड़ियाँ बनवाना भी शुरू कर दिया। आज की महिला नई शक्ति, नई सोच के साथ किस तरह नए लक्ष्यों को प्राप्त कर रही हैं। आदर्श जीविका महिला मलबरी उत्पादन समूह’ की दीदीयों ने जो कमाल किये हैं, उसका असर अब कई गावों में देखने को मिल रहा है | पूर्णिया के कई गावोँ के किसान दीदीयाँ, अब न केवल साड़ियाँ तैयार करवा रही हैं, बल्कि बड़े मेलों में, अपने स्टाल लगा कर बेच भी रही हैं। - युवाओं को साइंस से जोड़ने के लिए ‘युविका’, ISRO का एक बहुत ही सराहनीय प्रयास है। 2019 में यह कार्यक्रम स्कूली Students के लिए लॉन्च किया गया था। ‘युविका’ का मतलब है- 'युवा विज्ञानी कार्यक्रम'। आपको यदि यह जानना है ट्रेनिंग कैसी है? किस प्रकार की है? कितनी रोमांचक है ? पिछली बार जिन्होंने इसको अटेंड किया है, उनके अनुभव अवश्य पढ़ें | आपको खुद अटेंड करना हैं तो इसरो से जुड़ी ‘युविका’ की website पर जाकर अपना registration भी करा सकते हैं।

उनमें साइंस, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को लेकर जोोल उ त्सुकता थी वो कभी हम भूल नहीं सकते हैं। बच्चों के, युवाओं के, इसी उत्साह को बढ़ाने के लिए, उनमें साइंस टेंपर को बढ़ाने के लिए, एक और व्यवस्था, शुरू हुई है। अब आप श्रीहरिकोटा से होने वाले रोकेट लॉन्चिंग को सामने बैठकर देख सकते हैं। महान तमिल कवियत्री अव्वैयार (Avvaiyar) ने लिखा है - कटरदु कैमण अलवे आनालुम, कल्लाददु उलगलवु कड्डत कयिमन अड़वा कल्लादर ओलाआडू। इस देश की विविधता के साथ भी ऐसा ही है जितना जाने उतना कम है | हमारी बायोडाइवरसिटी भी पूरी मानवता के लिए अनोखा खजाना है जिसे हमें संजोना है, संरक्षित रखना है, और, एक्सप्लोर भी करना है। मेरे प्यारे युवा साथियो, इन दिनों हमारे देश के बच्चों में, युवाओं में साइंस और टेक्नोलॉजी के प्रति रूचि लगातार बढ़ रही है | अंतरिक्ष में रिकॉर्ड सेटेलाइट का प्रक्षेपण, नए-नए रिकॉर्ड, नए-नए मिशन हर भारतीय को गर्व से भर देते हैं।- COP Convention पर हो रही इस चर्चा के बीच मेरा ध्यान मेघालय से जुडी एक अहम् जानकारी पर भी गया | हाल ही में Biologists ने मछली की एक ऐसी नई प्रजाति की खोज की है, जो केवल मेघालय में गुफाओं के अन्दर पाई जाती है। वैज्ञानिक भी इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि इतनी बड़ी मछली इतनी गहरी गुफाओं में कैसे जीवित रहती है ? यह एक सुखद बात है कि हमारा भारत और विशेष तौर पर मेघालय एक दुर्लभ प्रजाति का घर है। माना जा रहा है कि यह मछली गुफाओं में जमीन के अन्दर रहने वाले जल-जीवों की प्रजातियों में से सबसे बड़ी है | यह मछली ऐसी गहरी और अंधेरी अंडरग्राउंड गुफाओं में रहती हैं, जहां रोशनी भी शायद ही पहुँच पाती है। यह भारत की जैव-विविधता को एक नया आयाम देने वाला है। हमारे आस-पास ऐसे बहुत सारे अजूबे हैं, जो अब भी अनडिस्कवर्ड हैं। इन अजूबों का पता लगाने के लिए खोजी जुनून जरूरी होता है। इसका अर्थ है कि हम जो जानते हैं, वह महज़, मुट्ठी-भर एक रेत है लेकिन, जो हम नहीं जानते हैं, वो, अपने आप में पूरे ब्रह्माण्ड के समान है।- भारत के इस वातावरण का आतिथ्य लेने के लिए दुनिया भर से अलग-अलग प्रजातियों के पक्षी भी, हर साल भारत आते हैं | भारत पूरे साल कई migratory species का भी आशियाना बना रहता है। और ये भी बताते हैं कि ये जो पक्षी आते हैं, पांच-सौ से भी ज्यादा, अलग-अलग प्रकार के और अलग-अलग इलाके से आते हैं। पिछले दिनों, गाँधी नगर में ‘COP - 13 convention’, जिसमें इस विषय पर काफी चिंतन हुआ, मनन हुआ, मन्थन भी हुआ और भारत के प्रयासों की काफी सराहना भी हुई। 

मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश की महान परम्परायें हैं। हमारे पूर्वजों ने हमें जो विरासत में दिया है, जो शिक्षा और दीक्षा हमें मिली है जिसमें जीव-मात्र के प्रति दया का भाव, प्रकृति के प्रति अपार प्रेम, ये सारी बातें, हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं।एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ को, जी-भर जीने का, ये अवसर बन जाता है|आप ना सिर्फ देश की कला और संस्कृति से जुड़ेंगे, बल्कि आप देश के मेहनती कारीगरों की, विशेषकर, महिलाओं की समृद्धि में भी अपना योगदान दे सकेंगे - जरुर जाइये।

- पिछले तीन वर्षों में हुनर हाट के माध्यम से, लगभग तीन लाख कारीगरों, शिल्पकारों को रोजगार के अनेक अवसर मिले हैं | हुनर हाट, कला के प्रदर्शन के लिए एक मंच तो है ही, साथ-ही-साथ, यह, लोगों के सपनों को भी पंख दे रहा है

- दिल्ली के हुनर हाट में एक छोटी सी जगह में देश की विशालता, संस्कृति, परम्पराओं, खानपान और जज्बातों की विविधताओं के दर्शन किए, समूचे भारत की कला और संस्कृति की झलक वाकई अनोखी थी, शिल्पकारों की साधना और हुनर के प्रति प्रेम की कहानियां भी प्रेरणादायी होती है।

हुनर हाट देश की विविधता को दर्शाता है, यहां शिल्पकला तो है ही, साथ-साथ हमारे खान-पान की विविधताओं से भी मन भर जाता है, एक ही पंक्ति में इडली-डोसा, छोले-भटूरे, दाल-बाटी, खमन-खांडवी, ना जाने क्या-क्या था, मैंने खुद बिहार के स्वादिष्ट लिट्टी-चोखे का आनन्द लिया।

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