पेगासस जासूसी मामले में शीर्ष न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग करते हुए 500 लोगों, समूहों ने सीजेआई को लिखा पत्र

By भाषा | Updated: July 29, 2021 22:55 IST2021-07-29T22:55:53+5:302021-07-29T22:55:53+5:30

500 people, groups write to CJI seeking Supreme Court's intervention in Pegasus espionage case | पेगासस जासूसी मामले में शीर्ष न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग करते हुए 500 लोगों, समूहों ने सीजेआई को लिखा पत्र

पेगासस जासूसी मामले में शीर्ष न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग करते हुए 500 लोगों, समूहों ने सीजेआई को लिखा पत्र

नयी दिल्ली,29 जुलाई भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण को 500 से अधिक लोगों और समूहों ने पत्र लिख कर कथित पेगासस जासूसी मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा फौरन हस्तक्षेप किये जाने का आग्रह किया है।

उन्होंने भारत में इजराइली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर की बिक्री, हस्तांतरण और उपयोग पर रोक लगाने की भी मांग की है।

पत्र में शीर्ष न्यायालय केंद्र और इजराइली कंपनी एनएसओ को ‘‘भारत के नागरिकों के खिलाफ छेड़े गये सरकार प्रायोजित साइबर युद्ध’’ से जुड़े कई सवालों का समयबद्ध जवाब उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

उन्होंने मीडिया में आई इन खबरों पर हैरानगी जताई है कि स्पाइवेयर का इस्तेमाल छात्राओं, विद्वानों, पत्रकारों, मानवाधिकार के पैरोकारों, वकीलों और यौन हिंसा पीड़िताओं की निगरानी के लिए किया गया।

इसके अलावा, पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों ने शीर्ष न्यायालय से यौन उत्पीड़न पर लैंगिक रूप से तटस्थ डेटा सुरक्षा और निजता नीति अपनाने का अनुरोध किया है।

पत्र में शीर्ष न्यायालय की एक अधिकारी के कथित जासूसी मुद्दे का भी हवाला दिया गया है, जिन्होंने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाया था।

पत्र में कहा गया है, ‘‘महिलाओं के लिए, पेगासस कांड बहुत चिंतित करने वाला है, राज्य (सरकार) के खिलाफ या देश में ऊंचे पदों पर बैठे पुरूषों के खिलाफ आवाज उठाने का मतलब है कि उनका जीवन (आवाज उठाने वाली का) इस तरह की निगरानी से स्थायी रूप से बर्बाद कर दिया जाएगा। ’’

पत्र में कहा गया है, ‘‘पेगासस स्पाइवेयर जांच में यह खुलासा हुआ है कि किस तरह से सैन्य श्रेणी का मालवेयर लोगों के फोन में डाला गया, जिनका उपभोक्ता द्वारा इस्तेमाल लोगों की जासूसी करने, डेटा चुराने और डेटा अज्ञात लोगों/डेटाबेस को भेजने में किया गया। इसे विशेषज्ञों ने साइबर युद्ध के रूप में परिभाषित किया है और यह कुछ और नहीं बल्कि लोगों के खिलाफ सरकार प्रायोजित साइबर आतंकवाद है। ’’

पत्र में कहा गया है कि पेगासस सॉफ्टवेयर सरकारों को सिर्फ राष्ट्र सुरक्षा और आतंकवाद रोधी उद्देश्यों के लिए बेचा जाता है।

इसमें कहा गया है, ‘‘लक्षित व्यक्तियों की भारतीय सूची से संकेत मिलता है कि सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए नहीं, बल्कि सूचना जुटाने के लिए और शायद विपक्षी नेताओं, न्यायपालिका, प्रेस तथा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य को नियंत्रित करने के लिए किया गया।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘मानवाधिकार कार्यकर्तओं को जेल में डाल दिया गया है और यौन उत्पीड़न पीड़िताओं को भी सरकार प्रायोजित इस तरह के साइबर-अपराध से बख्शा नहीं जा रहा है, जो शासन के आतंक का डिजिटल रूप है।’’

पत्र पर अरूणा रॉय, अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर जैसे नागरिक अधिकार कार्यकर्ता, वृंदा ग्रोवर, झूमा सेना जैसी प्रख्यात वकीलों ने हस्ताक्षर किये हैं।

गौरतलब है कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को पेगासस स्पाइवेयर के जरिए निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: 500 people, groups write to CJI seeking Supreme Court's intervention in Pegasus espionage case

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे