J&K: LoC पार कर आतंकी बनने जा रहे थे पांच किशोर, पुलिस ने उन्हें उनके परिवारों को सौंपा
By सुरेश एस डुग्गर | Published: January 30, 2020 01:54 AM2020-01-30T01:54:01+5:302020-01-30T01:54:01+5:30
एएसपी अनंतनाग अल्ताफ अहमद खान ने बताया कि ये सभी किशोर आतंकी संगठनों में शामिल होने जा रहे थे। जानकारी मिलते ही हमने इनको हिरासत में लिया। पूछताछ करने के दौरान इन्होंने स्वीकार किया कि ये सभी आतंक की ओर रुख करने जा रहे थे।
जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक महीने की काउंसलिंग के बाद उन पांच कश्मीरी युवकों को उनके परिवारों को सौंप दिया जो पिछले महीने आतंकी बनने की खातिर सीमा पार जा कर आतंकवाद की ट्रेनिंग लेना चाहते थे और एलओसी को क्रॉस करने की कोशिश में थे।
पुलिस का कहना है कि भटके युवाओं को जम्मू कश्मीर पुलिस मुख्यधारा में लाने का लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में अनंतनाग जिला पुलिस ने पांच किशोरों को उनके परिवार को सौंपा। ये किशोर आतंकी संगठन में शामिल होने के लिए जा रहे थे। ये किशोर कोकरनाग तहसील के सोफ और पंजगाम इलाके के रहने वाले हैं।
एएसपी अनंतनाग अल्ताफ अहमद खान ने बताया कि ये सभी किशोर आतंकी संगठनों में शामिल होने जा रहे थे। जानकारी मिलते ही हमने इनको हिरासत में लिया। पूछताछ करने के दौरान इन्होंने स्वीकार किया कि ये सभी आतंक की ओर रुख करने जा रहे थे।
इस दौरान भटके किशोरों की काउंसलिंग की गई। साथ ही उनसे मुख्यधारा में लौटने की अपील की गई। जिस पर वे राजी हो गए। इसके साथ ही पुलिस ने सभी को उनके परिवार के सुपुर्द कर दिया। सभी परिवारों ने पुलिस को धन्यवाद दिया। उक्त किशोरों को उनके परिवार को सौंपने के दौरान एएसपी अनंतनाग, एसडीएम कोकरनाग, एसपी ऑपरेशन्स सहित सुरक्षाबल मौजूद रहे।
याद रहे पिछले साल करीब 50 युवक आतंकवाद की राह को त्याग कर अपने घरों को तो वापस लौट आए थे पर उनकी वापसी इन पांच किशोरों की मानसिकता पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकी थी जो आतंकी बनने की खातिर एलओसी को पार करने उड़ी सेक्टर तक पहुंच गए थे।
अधिकारियों ने बताया कि आतंकी बनने के लिए घर से भागे पांचों किशोरों को सुरक्षाबलों ने समय रहते उत्तरी कश्मीर में एलओसी से सटे उड़ी सेक्टर में पिछले महीने के अंत में पकड़ लिया था।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू करने के बाद यह पहला मौका था जब आतंकी बनने के लिए उस कश्मीर की तरफ जा रहे पांच किशोर एलओसी के पास पकड़े गए थे। इनकी आयु 14-15 साल है।
ये उड़ी सेक्टर के रास्ते उस कश्मीर जा रहे थे और एलओसी से सटी सेना की एक चौकी तक पहुंच गए थे। इनके पास से सिर्फ कपड़े और खाने का कुछ सामान मिला था। पुलिस से जुड़े लोगों के मुताबिक, ये पांचों उड़ी कस्बे में एक होटल में थे। पूछताछ में इन्होंने बताया था कि उन्हें कहा गया था कि सड़क के रास्ते उड़ी चले जाएं। वहां एक पुल और एक दरिया है। अगर पुल से मौका नहीं मिला तो दरिया के रास्ते सीमा पार चले जाएं। उन्हें कोई नहीं रोकेगा।
याद रहे पिछले साल नवम्बर महीने में सेना की चिनार कोर ने 'ऑपरेशन मां' शुरू किया था। इस ऑपरेशन में चिनार कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग के निर्देश पर घरों से गायब हो चुके युवाओं का पता लगाना और उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हें वापस घर लाना था। पुलवामा हमले के बाद सेना ने घाटी में सभी माताओं से अपने बच्चों को वापस लौटने के लिए अपील करने को कहा था।
सेना ने कहा था कि मां एक बड़ी भूमिका में होती है और वे अपने बच्चों को वापस बुला सकती हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे मारे जाएंगे। पिछले साल करीब 50 ऐसे युवा आतंकी संगठनों को छोड़कर वापस लौटे हैं। कई आतंकी आत्मसमर्पण करने के बाद पढ़ रहे हैं। कुछ अपने पिता का हाथ बंटा रहे हैं तो कुछ खेतों में काम कर रहे हैं। पाकिस्तान का प्रयास रहता है कि ऐसे युवाओं को निशाना बनाए। ऐसे में इनकी पहचान छुपाई जाती है।