सिंधिया राजघराने से तालुक्क रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद से कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इसी बीच कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने विधायक दल की बैठक बुलाई है। लेकिन कमलनाथ की बैठक में कांग्रेस के सिर्फ 88 विधायक ही शामिल हुए। इसके बाद से अटकलें लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस के चार और विधायक मीटिंग से गायब रहे।
बता दें कि सिंधिया ने मंगलवार (10 मार्च) को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा। सिंधिया के इस्तीफे के बाद उनके खेमे के 22 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफे दे दिए हैं। जबकि बिसाहू लाल सिंह ने विधायक पद से इस्तीफा देने बाद तुरंत ही बीजेपी में शामिल हो गए।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता पीसी शर्मा ने संख्याबल को लेकर कहा, 'निश्चित रूप से एक नई बात सामने आएगी। शाम तक आपको कमलनाथ का मास्टरस्ट्रोक देखने को मिलेगा।' हालांकि उन्होंने यह बात किस आधार पर खी है यह साफ नहीं किया। कि आखिर इतने इस्तीफों के बाद किस मास्टरस्ट्रोक की संभावना बची रह जाती है। वहीं, बीजेपी नेता भूपेंद्र सिंह ने कहा था, 'मैं बेंगलुरु से 19 विधायकों का इस्तीफा लेकर आया हूं, शाम तक यह संख्या 30 तक पहुंच सकती है, कई कांग्रेस नेता बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं।'
मध्य प्रदेश की समझें राजनीति गणित
इसके बाद प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस इन 10 विधायकों में से आठ विधायकों को वापस लाने में अब तक सफल हो चुकी है। हालांकि, लापता हुए 10 विधायकों में से अब केवल कांग्रेस के दो विधायक हरदीप सिंह डंग एवं रघुराज कंसाना ही बचे हैं, जो अब तक गायब हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं। इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं। कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बसपा और सपा का समर्थन है।