पिछले दिनों दिल्ली में हुई हिंसा को कराने के लिए 300 से ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश से आए थे. यह बात गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को दिल्ली की हिंसा पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कही. सबसे पहले चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने दिल्ली पुलिस और गृह मंत्री अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाते हुए अमित शाह की इस्तीफे की मांग की.
अधीर रंजन चौधरी की दलील थी कि दिल्ली जलती रही, और तीन दिन तक पुलिस तमाशा देखती रही. उन्होंने पूछा कि गृह मंत्री क्या कर रहे थे. प्रधानमंत्री अब तक क्यों नहीं बोले. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को ही क्यों भेजा गया, गृह मंत्री शाह की जिम्मेदारी नहीं थी कि वे हिंसा प्रभावित लोगों के आसू पोंछते. दिल्ली की हिंसा को एक शर्मनाक दाग बताते हुए इसे पूरे तरह गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी बताया.
अधीर रंजन चौधरी के साथ-साथ तमाम विपक्षी दलों ने भी गृहमंत्री अमित शाह की खामोशी पर सवाल खड़े किए और उनके इस्तीफे की मांग की.
चर्चा का विस्तार से जवाब देते हुए शाह ने कहा कि इस हिंसा को राजनीतिक रंग देने का प्रयास हुआ है. मैं चाहता हूं कि दुनिया के सामने सच्चाई पहुंचे. दिल्ली पुलिस पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने दिल्ली पुलिस को शाबासी दी कि उसने इस हिंसा को पूरी दिल्ली में नहीं फैलने दिया. उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को उनके कहने पर भेजा गया था. पूरा घटनाक्रम बताते हुए अमित शाह ने सिलसिलेवार ब्यौरा पेश किया और बताया कि हिंसा को रोकने के लिए कब-कब क्या फैसले किये.
उन्होंने दावा किया कि अब तक 700 एफआईआर दर्ज की जा चुकी है और 2647 लोगों को हिरासत में लिया गया है.
एक बड़ा खुलासा करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि जो वीडियो लोगों से मिले है उनकी जांच की जा रही है उनमें एक वीडियो ऐसा है जो इस बात का खुलासा करेगा कि अंकित की हत्या के पीछे कौन था.
उन्होंने यह भी बताया कि 1100 लोगों को चिन्हित किया गया है जिसके आधार पर उन सभी को कानून के दायरे में लाया जाएगा और किसी को नहीं छोड़ा जाएगा. गृहमंत्री ने शंका जताई कि इस हिंसा के पीछे एक सुनियोजित षडयंत्र था जिसके लिए मामला दर्ज कर लिया गया है. इतना ही नहीं हवाला के जरिए हिंसा फैलाने के इरादे से जिन लोगों ने पैसा उपलब्ध कराया उनको भी कानून के दायरे में ले लिया गया है.
अमित शाह ने कांग्रेस पर हमले की कोई कसर नहीं छोड़ी, बिना सोनिया, राहुल और प्रियंका का नाम लिये इशारा किया कि रामलीला मैदान में सोनिया ने जो भाषण दिया उससे माहौल गरमाया और ऐसे ही भड़काऊ भाषण के कारण हिंसा फैली.