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महाराष्ट्र में सत्ता पर बैठने के लिए राजनीतिक पार्टियां कर रही थीं जोड़तोड़, इस दौरान नवंबर में 300 किसानों ने किया सुसाइड

By रामदीप मिश्रा | Updated: January 3, 2020 13:20 IST

महाराष्ट्रः राजस्व विभाग के नए आंकड़ों में ये बात सामने आई है कि पिछले साल अक्टूबर और नवंबर के बीच किसानों की आत्महत्याओं के मामलों में 61 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। 

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ठळक मुद्देमहाराष्ट्र में जिस समय सरकार बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियां पूरी ताकत झोंक रही थीं और जोड़तोड़ में लगी हुई थीं, उस समय यानि नवंबर में 300 किसानों ने मौत को गले लगा लिया। यह आकड़ा पिछले चार सालों में किसानों द्वारा किए गए सुसाइड का सबसे ज्यादा है।

महाराष्ट्र में जिस समय सरकार बनाने के लिए राजनीतिक पार्टियां पूरी ताकत झोंक रही थीं और जोड़तोड़ में लगी हुई थीं, उस समय यानि नवंबर में 300 किसानों ने मौत को गले लगा लिया। यह आकड़ा पिछले चार सालों में किसानों द्वारा किए गए सुसाइड का सबसे ज्यादा है। इससे पहले 2015 में एक महीने में 300 से ज्यादा किसान ने सुसाइड किया था। बीते साल अक्टूबर में बेमौसम बारिश ने राज्य में लगभग 70 फीसदी खरीफ की फसल को बर्बाद कर दिया। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्व विभाग के नए आंकड़ों में ये बात सामने आई है कि पिछले साल अक्टूबर और नवंबर के बीच किसानों की आत्महत्याओं के मामलों में 61 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। 

आंकड़ों में बताया गया है कि अक्टूबर में 186 किसानों ने आत्महत्याएं की थी। नवंबर में 300 किसानों ने आत्महत्या की है। मराठवाड़ा के सूखाग्रस्त बेल्ट में नवंबर 2019 में सबसे अधिक 120 मामले दर्ज किए गए, जबकि विदर्भ में 112 किसानों ने आत्महत्या की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2019 से नवंबर के बीच यानि 11 महीनों में 2532 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं, जबकि इस अवधि में 2018 में 2518 किसानों ने मौत को गले लगाया था। 2018 के मुकाबले 14 अधिक किसानों ने सुसाइड किया है। 

अक्टूबर में हुई बेमौसम बारिश की वजह से लगभग एक करोड़ किसानों की फसल बर्बाद हुई है, ये किसानों की संख्या स्वीडन की आबादी के बराबर है। ये राज्य के कुल किसानों की दो-तिहाई सख्या है, जिसमें से 44 लाख किसान मराठवाड़ा के हैं।

अब महाराष्ट्र सरकार किसानों को मुआवजा दे रही है। अधिकारियों ने कहा कि प्रभावितों को अब तक 6552 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। उद्धव ठाकरे सरकार ने दिसंबर 2019 में ऋण माफी की घोषणा की। इससे पहले की बीजेपी नेतृत्व की सरकार ने 2017 में कर्ज माफी की घोषणा की थी, जिसके कारण 44 लाख किसानों का 18000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया।

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