चांद की सतह से 30 किमी पहले विक्रम लैंडर का इसरो से संपर्क टूटा, चंद्रयान मिशन को विफल मानना सही नहींः सरकार

By भाषा | Published: November 21, 2019 03:53 PM2019-11-21T15:53:44+5:302019-11-21T15:53:44+5:30

अंतरिक्ष विज्ञान विभाग में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने राज्यसभा में बृहस्पतिवार को प्रश्नकाल के दौरान चंद्रयान मिशन की नाकामी से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘इस अभियान पर सभी देशवासियों की नजरें टिकी थीं। विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाना थोड़ा निराशाजनक हो सकता है लेकिन इसकी व्याख्या में अभियान को विफल करार देना न्यायोचित नहीं होगा।’’

30 km before the lunar surface, Vikram Lander lost contact with ISRO, it is not right to accept Chandrayaan mission as a failure: Government | चांद की सतह से 30 किमी पहले विक्रम लैंडर का इसरो से संपर्क टूटा, चंद्रयान मिशन को विफल मानना सही नहींः सरकार

सटीक प्रक्षेपण और कक्षीय गति के कारण ऑर्बिटर की मिशन अवधि बढ़कर सात साल हो गयी है।

Highlightsसिंह ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण का हवाला देते हुये कहा कि समूचे अभियान में एक साथ कई लक्ष्यों को समाहित किया जाता है। चांद की कक्षा में चंद्रयान का प्रवेश सफलतापूर्वक हुआ और ऑर्बिटर ने बखूबी अपना काम किया।

सरकार ने चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर अहम जानकारियां जुटाने से जुड़े, इसरो के चंद्रयान अभियान को तकनीकी तौर पर सफल बताते हुये कहा है कि चंद्रयान के लैंडर द्वारा सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाने के कारण इस अभियान को विफल मानना न्यायोचित नहीं होगा।

अंतरिक्ष विज्ञान विभाग में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने राज्यसभा में बृहस्पतिवार को प्रश्नकाल के दौरान चंद्रयान मिशन की नाकामी से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘इस अभियान पर सभी देशवासियों की नजरें टिकी थीं। विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाना थोड़ा निराशाजनक हो सकता है लेकिन इसकी व्याख्या में अभियान को विफल करार देना न्यायोचित नहीं होगा।’’

सिंह ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण का हवाला देते हुये कहा कि समूचे अभियान में एक साथ कई लक्ष्यों को समाहित किया जाता है। उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई देश ऐसा नहीं है जिसने दो से कम प्रयासों में चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की हो, यहां तक कि अमेरिका को भी आठवें प्रयास में कामयाबी मिल सकी।

चंद्रयान के दूसरे हिस्से ऑर्बिटर की मौजूदा कार्यप्रणाली से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में सिंह ने कहा कि इस अभियान के वैज्ञानिक पहलू से जुड़े ऑर्बिटर के वैज्ञानिक लक्ष्यों को हासिल कर लिया गया है। इनमें चांद की सतह की मैपिंग करना और भौगोलिक स्थितियों का विश्लेषण करने सहित अन्य काम पूरे कर लिये गये हैं। अभियान के तकनीकी पहलुओं की कामयाबी के बारे में उन्होंने बताया कि चंद्रयान की लॉंचिंग सफल रही।

पृथ्वी की कक्षा और फिर चांद की कक्षा में चंद्रयान का प्रवेश सफलतापूर्वक हुआ और ऑर्बिटर ने बखूबी अपना काम किया। उन्होंने कहा कि सटीक प्रक्षेपण और कक्षीय गति के कारण ऑर्बिटर की मिशन अवधि बढ़कर सात साल हो गयी है। सिंह ने कहा, ‘‘सिर्फ चांद की सतह से 30 किमी पहले विक्रम लैंडर का इसरो से संपर्क टूट गया जिसे मैं इस अभियान की विफलता नहीं कहना चाहता।’’

अन्नाद्रमुक की विजिला सत्यनाथन ने पूरक प्रश्न में पूछा कि विक्रम की चांद पर लैंडिंग के दिन ही मोदी सरकार के सौ दिन पूरे होने का इस अभियान से क्या कोई संबंध था और सरकार के सौ दिन पूरे होने के दिन ही विक्रम लैंडर की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिये वैज्ञानिकों पर क्या दबाव डाला गया था?

सिंह ने इस तरह की किसी भी आशंका को नकारते हुये कहा, ‘‘हम सब को यह मानने में कोई हर्ज नहीं होगा कि अंतरिक्ष अभियान के कार्यक्रम खगोलीय स्थितियों के मुताबिक तय होते हैं। इसलिये यह संभव नहीं है कि इस तरह के अभियान के कार्यक्रम इस प्रकार तय किये जा सकें।’’

डा. सिंह ने ‘चंद्रयान 3’ (तीसरा चांद मिशन) से जुड़े एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि इसरो तीसरे के चंद्रयान अभियान की योजना बना रहा है। इसके लिये इसरो ने आवश्यक प्रौद्योगिकी पर निपुणता हासिल करने के लिये चंद्र अन्वेषणसंबंधी मिशनों की रूपरेखा तैयार की है। इसे अंतरिक्ष आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। विशेषज्ञ समिति के अंतिम विश्लेषण और सिफारिशों के आधार पर आगामी चंद्र मिशनों पर कार्य प्रगति पर है।

Web Title: 30 km before the lunar surface, Vikram Lander lost contact with ISRO, it is not right to accept Chandrayaan mission as a failure: Government

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