झारखंडः 29 फीसदी पुरुषों को बीवी पर नहीं भरोसा, गर्भनिरोधक इस्तेमाल करने वाली होतीं है बेवफा
By एस पी सिन्हा | Published: August 2, 2018 08:12 PM2018-08-02T20:12:29+5:302018-08-02T20:12:29+5:30
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सर्वेक्षण में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आएं हैं। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि झारखंड के शेष 40 फीसदी मामलों में गर्भनिरोधक उपायों को अपनाने की दर शहरों में 47 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में 38 फीसदी है।
रांची, 02 अगस्त:झारखंड की स्थिती के बारे में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य के बारे में हुए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि झारखंड के 29 फीसदी पुरुषों को अपनी पत्नी पर भरोसा नहीं है। वे मानते हैं कि गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने वाली महिला के संबंध एक से अधिक लोगों से हो सकते हैं। वहीं, 60 प्रतिशत विवाहित महिला-पुरुष गर्भ निरोधक के साधनों का इस्तेमाल नहीं करते।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सर्वेक्षण में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आएं हैं। सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि झारखंड के शेष 40 फीसदी मामलों में गर्भनिरोधक उपायों को अपनाने की दर शहरों में 47 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में 38 फीसदी है।
खास बात यह है कि 15 से 49 वर्ष आयु वर्ग के 56 फीसदी पुरुषों का मानना है कि गर्भनिरोधक उपायों को अपनाने का काम महिलाओं का है उनका नहीं। सर्वेक्षण के आंकड़ों को अगर मानें तो गर्भनिरोधक उपायों के मामलों में महिला नसबंदी की हिस्सेदारी 77 फीसदी है, जबकि कुल गर्भनिरोधक उपायों के अपनाने के मामलों में 31 फीसदी के साथ महिलाओं की नसबंदी सबसे अधिक लोकप्रिय है।
निरोध का इस्तेमाल दो फीसदी लोग हीं करते हैं, जबकि गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग तीन फीसदी महिलाएं हीं करती हैं। वहीं, पुरुषों में नसबंदी की दर 0.2 फीसदी है। इसमें 15 से 19 वर्ष आयु वर्ग की 93 फीसदी महिलाएं और 98 फीसदी पुरुष किसी तरह के गर्भनिरोधक का इस्तेमाल नहीं करते। यही वजह है कि युवतियां कम उम्र में मां बन रही हैं। झारखंड में 17 साल की उम्र में लगभग 5 फीसदी, 18 की उम्र में 13 फीसदी और 19 की उम्र में 26 फीसदी महिलाएं अपने पहले बच्चे को जन्म दे देती हैं।
वहीं, 17 साल की उम्र में 8 फीसदी, 18 की उम्र में 18 और 19 की उम्र में 33 फीसदी महिलाएं गर्भ धारण कर लेती हैं। आंकड़ों के अनुसार आज भी 38 फीसदी लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती है। 15-19 आयु वर्ग में वो विवाहित महिलाएं जो कभी स्कूल नहीं गईं उनमें से 19 फीसदी मां बन जाती हैं। जिन लड़कियों ने 12वीं तक या उससे अधिक पढ़ाई की है उनमें यह दर घटकर लगभग 6 फीसदी रह गई है। उक्त आयु वर्ग में ही जो कभी स्कूल नहीं गईं उनमें 25 फीसदी ने गर्भधारण कर लिया था, जबकि 12वीं या उससे अधिक शिक्षा प्राप्त महिलाओं में यह दर 9 फीसदी थी।
आंकड़ों के अनुसार, 15 से 19 वर्ष के आयु वर्ग में गर्भनिरोधक उपायों को अपनाने की दर 7 फीसदी थी। जो 30-40 आयु वर्ग में बढकर 52-53 फीसदी हो गई। इसी तरह पढ़ाई के मामले में 12 या उससे अधिक स्कूली शिक्षा प्राप्त महिलाओं में नसबंदी की दर 37 फीसदी थी, जबकि कभी स्कूल नहीं गई महिलाओं में यह दर 16 फीसदी थी।
रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि परिवार बनाने में पहली प्राथमिकता लोगों के लिए लड़का है। इसका सीधा असर परिवार नियोजन के साधनों के उपयोग में देखने को मिला। उन महिलाओं के बीच जिनके पहले से ही बेटे हैं या जिनकी दो संतानों में कम से कम एक लडका है। उनमें गर्भ निरोधक उपाय अपनाने की दर 52 फीसदी थी, जबकि दो लड़कियों वाले परिवार जिनका कोई लड़का नहीं था। उनमें महिलाओं में इसे अपनाने की दर 23 फीसदी रही।
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