26/11 Attack: मुंबई पर आतंकी हमले और जवानों की वीरता की पूरी कहानी, आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते ली थी एंट्री
By आकाश चौरसिया | Published: November 26, 2023 10:18 AM2023-11-26T10:18:01+5:302023-11-26T10:33:55+5:30
26 नवंबर 2011 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में प्रवेश किया और शहर में एंट्री के साथ उन्होंने हमले शुरू कर दिये थे। इसके बाद उनका मकसद बड़ी तादाद में लोगों की जान लेना था।
नई दिल्ली: 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों को आज 15 साल होने जा रहे हैं, जिसे लेकर हम आपको आज इस हमले से जुड़ी पूरी जानकारी साझा करने जा रहे हैं। 26 से 29 नवंबर तक ये अटैक चार दिनों तक चला। इस दौरान पुलिस अफसरों और आम लोगों की जान गवांई, बहादुरी के साथ आतंकवादियों का सामना किया।
26 नवंबर 2011 को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में प्रवेश किया और शहर में एंट्री के साथ उन्होंने हमले शुरू कर दिये थे। इसके बाद उनका मकसद बड़ी तादाद में लोगों की जान लेना था, जिसके लिए उन सभी ने ताज महल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस समेत हाई-प्रोफाइल जगह को अपना निशाना बनाया।
सबसे पहले आतंकवदियों ने ताज पैलेस होटल में हमला करने के इरादे से एंट्री ली और दूसरी तरफ पुलिस ने मोर्चा संभाला, इसके बाद पुलिस ने धीरे-धीरे परिसर को खाली कराना शुरू किया। इसके साथ ही आतंकवादियों से भी दो-दो हाथ करते रहे। फिर, दिन के आखिर में होटल को घेराबंदी की गई और इसके बाद तो आमने-सामने की वार चलती रही, लेकिन हमलों के निशान बने रहे।
NSG की मुंबई में एंट्री
जैसे ही शहर हमलों से सहमा हुआ था, मुंबई पुलिस, एटीएस और अन्य सुरक्षा बल कई स्थानों पर बंधक बनाने वाले आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ कर रहे थे। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और अन्य कमांडो इकाइयों ने हमलावरों को मार गिराने और बंधकों को मुक्त कराने के लिए बचाव अभियान शुरू किया।
इतने मुंबईवासियों की गई जान
वहीं, हमले के 60 घंटें से अधिक समय बीत जाने के बाद, आतंकवादियों ने नरीमन हाउस का रुख किया तो एनएसजी की एंट्री होती है, इसके बाद एनएसजी ने सफलतापूर्वक आतंवादियों को मार गिराने में सफल रहे। इसके बाद कुछ आतंकवादी पकड़े गए। पूरे घटनाक्रम में सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोगों की जान चली गई और 300 लोग घायल हो गए।
आज भी 26 नवंबर 2008 की घटना को दर्दनाक हादसे के रूप में जाना जाता है, जिसमें बुनियादे ढांचे के खोखलेपन की बात सामने आई। हमलों ने भारत की सुरक्षा प्रणालियों में तत्काल बदलाव के लिए भी प्रेरित किया, जिसमें आतंकवाद विरोधी उपाय और नियम को नए सिरे से बदलने का काम किया गया।
इन हमलों के बाद पुलिस ने जिंदा बचे इकलौते आतंकवादी कसाब को पकड़ा, जिसने पूरी घटना का पर्दाफाश कर दिया। उसे सजा दिलाने के लिए कसाब के निशाने से बच गई 24 वर्षीय चश्मदीद देविका ने उसके खिलाफ गवाई दी और फांसी के फंदे तक पहुंचा दिया। हमले के दौरान देविका 9 साल की ही थी।