साल 2021: मोन में हुई हत्याओं से नागालैंड में दौड़ी शोक की लहर, इस राज्य में सामान्य स्थिति अब भी दूर की कौड़ी

By भाषा | Published: December 31, 2021 03:54 PM2021-12-31T15:54:22+5:302021-12-31T16:17:03+5:30

2021: Wave of mourning due to the killings in Mon in Nagaland, normalcy still far-fetched | साल 2021: मोन में हुई हत्याओं से नागालैंड में दौड़ी शोक की लहर, इस राज्य में सामान्य स्थिति अब भी दूर की कौड़ी

साल 2021: मोन में हुई हत्याओं से नागालैंड में दौड़ी शोक की लहर, इस राज्य में सामान्य स्थिति अब भी दूर की कौड़ी

कोहिमा: मोन जिले में सुरक्षा बलों की कथित गोलीबारी में 14 आम नागरिकों की मौत ने नगालैंड को 2021 में निराशाजनक स्थिति में ला खड़ा किया और दशकों पुराने इस राजनीतिक मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान निकालने की उसके नागरिकों की चाह अब भी दूर की कौड़ी बनी हुई है।

मोन जिले में चार-पांच दिसंबर को उग्रवादी रोधी अभियान में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में छह दिहाड़ी मजदूरों समेत 14 नागरिक मारे गए, जिसने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया और पूर्वोत्तर राज्य से सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (आफस्पा), 1958 को हटाने की मांग फिर से तेज हो गई।

मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो समेत क्षेत्र के विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने इस विवादित अधिनियम को निरस्त करने का समर्थन किया। वहीं, केंद्र ने राज्य की स्थिति को ‘‘खतरनाक’’ बताते हुए नगालैंड को आफस्पा के तहत 30 दिसंबर से छह और महीनों के लिए ‘‘विवादित क्षेत्र’’ घोषित किया।

राज्य विधानसभा ने भी 21 दिसंबर को एक विशेष सत्र आयोजित किया और राज्य से आफस्पा हटाने और मोन के ओटिंग गांव में हुई हत्याओं के लिए माफी की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया।

इस घटना में मारे जाने वाले लोग कोन्याक नगा थे और इस जनजाति के प्रति एकजुटता जताते हुए राज्य सरकार ने अपना महत्वपूर्ण हॉर्नबिल उत्सव रद्द कर दिया। इस उत्सव में कई देशों के राजनयिक भाग ले रहे थे।

नगा राजनीतिक मुद्दे को लेकर इस साल तनाव तब बढ़ गया जब नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड इसाक-मुइवा (एनएससीएन-आईएम) गुट ने केंद्र द्वारा नियुक्त वार्ताकार और राज्य के राज्यपाल आर एन रवि से वार्ता करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह उन पर भरोसा नहीं करता है। रवि को बाद में नौ सितंबर को तमिलनाडु का राज्यपाल बना दिया गया।

खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा की नए वार्ताकार के तौर पर नियुक्ति के साथ दीमापुर में 20 सितंबर को वार्ता बहाल हुई। इसके बाद यह वार्ता दिल्ली में हुई लेकिन अलग झंडे और संविधान को लेकर एनएससीएन (आईएम) की मांग ने अंतिम समाधान रोक दिया क्योंकि केंद्र इन मांगों को मानने के पक्ष में नहीं है।

नगा राजनीतिक मुद्दे के हल को अपने एजेंडे की प्राथमिकता बताते हुए राज्य सरकार ने जून में 60 विधायकों और दो सांसदों की एक समिति गठित की ताकि पक्षकारों के बीच मतभेदों को हल किया जा सके।

इस साल एनएससीएन (रिफॉर्मेशन) में भी दो फाड़ देखी गयी और अकातो चोफी उसके नए अध्यक्ष बने। अभी राज्य में कम से कम 13 नगा समूह हैं जो गुप्त रहकर काम कर रहे हें।

भारतीय जनता पार्टी की राज्य ईकाई के भीतर गुटबंटी लगातार दूसरे साल भी जारी रही और छह जिला ईकाइयों के अध्यक्षों ने पार्टी के नगालैंड के अध्यक्ष तमजेन इमना अलोंग को हटाने की मांग की लेकिन केंद्रीय नेतृत्व से इसे समर्थन नहीं मिला।

सत्तारूढ़ गठबंधन के अहम घटक दल नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) ने नोकसेन और शमातोर-चेस्सोर उपचुनाव निर्विरोध जीत लिया, जिससे राज्य विधानसभा में उसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 21 हो गयी।

मार्च में पेरेन और दीमापुर जिलों के बीच अंतर-जिला विवाद हिंसक हो गया जिसमें तीन लोगों की मौत हो गयी। असम के साथ भी अंतरराज्यीय सीमा विवाद पैदा हुआ। बहरहाल, स्थिति में सुधार लाते हुए असम और नगालैंड ने आओ सेनदेन और विकुतो गांवों के आसपास के इलाकों में शांति बनाए रखने के लिए 31 जुलाई को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

कोविड महामारी की दूसरी लहर का असर इस पूर्वोत्तर राज्य में भी पड़ा और उसे सख्त पाबंदियां लगानी पड़ी। राज्य में कोविड-19 के 32,188 मामले अब तक सामने आए। अभी तक 702 लोगों की मौत हुई जिनमें से 623 लोगों की मौत 2021 में हुई। राज्य ने अभी तक टीकों की 13,33,991 खुराकें दी है।

नगालैंड में मानसून के पहुंचने में देरी के कारण इस साल सूखे जैसी स्थिति भी बनी। नगालैंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनएसडीएमए) के आंकड़ों के अनुसार, जिलों में बारिश में 20 से 59 प्रतिशत कमी दर्ज की गयी।

Web Title: 2021: Wave of mourning due to the killings in Mon in Nagaland, normalcy still far-fetched

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