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2021 : दिल्ली में कोविड की दूसरी लहर से जूझती दिखी सरकार, जाते-जाते भी लगी पाबंदियां

By भाषा | Updated: December 31, 2021 17:04 IST

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(विनोद त्रिपाठी)

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर दिल्ली सरकार को 2021 में कोविड महामारी की दूसरी लहर और ऑक्सीजन तथा अस्पतालों में बिस्तरों की गंभीर कमी से जूझना पड़ा। इसके अलावा इस साल कई कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन भी हुआ।

इसी साल उसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित होने का भी झटका लगा जिससे सत्तारूढ़ सरकार पर उपराज्यपाल का प्रभुत्व स्थापित हो गया।

जैसे ही दिल्ली में जनजीवन सामान्य हो रहा था तो अप्रैल में पूरी ताकत से आयी महामारी की दूसरी लहर ने उसे झकझोर के रख दिया। अप्रैल-मई में आम आदमी पार्टी की सरकार चिकित्सीय ऑक्सीजन, दवाओं, अस्पतालों में बिस्तरों और अन्य सामान की भारी कमी से जूझती दिखी और साथ ही हर दिन कोरोना वायरस के करीब 20,000 मामलों ने स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को दबाव में डाल दिया।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में पूरा सरकारी तंत्र स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते दबाव को कम करने में लग गया और इसके साथ ही सामने आ रही हृदय विदारक कहानियों और दृश्यों ने सभी झकझोर के रख दिया।

महामारी की इस लहर में सैकड़ों लोगों ने जान गंवा दी जबकि सरकार का चिकित्सीय ऑक्सीजन और दवाओं को लेकर केंद्र से टकराव हो गया।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021 उन कई मुद्दों में से एक है जिसे लेकर एक तरफ केजरीवाल सरकार और केंद्र और दूसरी तरफ उसके प्रतिनिधि उपराज्यपाल के बीच टकराव हुआ। केजरीवाल ने इस विधेयक को दिल्ली के लोगों का ‘‘अपमान’’ बताया।

दोनों पक्षों के बीच राशन को घर-घर तक पहुंचाने की योजना, दिल्ली दंगा मामलों की सुनवाई के लिए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति और केजरीवाल सरकार के पुलिस के उस प्रस्ताव को ठुकराने को लेकर टकराव और बढ़ गया जिसमें स्टेडियमों को कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों को रखने की जगह में बदलने के लिए कहा गया।

इसके अलावा केजरीवाल सरकार ने जनवरी में शुरू हुए टीकाकरण अभियान को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा और उस पर दूसरे देशों को टीकों का निर्यात करने और भारत के लोगों को टीके की खुराक न देने का आरोप लगाया।

महामारी की दूसरी लहर और इससे प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए केजरीवाल सरकार इस साल शिक्षा, परिवहन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई कार्यक्रम और योजनाएं लेकर आयी।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में उसने दिल्ली वासियों के लिए ई-हेल्थ कार्ड लाने की घोषणा की जो अगले साल की शुरुआत से शुरू होगा। इससे डॉक्टरों से मिलने का समय ऑनलाइन लेने समेत कई लाभ मिलेंगे। सरकार ने शहीद भगत सिंह की जयंती पर स्कूलों में देशभक्ति पाठ्यक्रम भी लागू किया। साथ ही स्कूलों में प्रसन्नता पाठ्यक्रम और उद्यमशीलता कक्षाओं की भी शुरुआत की।

दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने अपनी सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव किए। अब उसकी ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट से संबंधित ज्यादा सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध है।

इलेक्ट्रिक वाहन नीति पर जोर देने के इस साल दिल्ली सरकार के लिए अच्छे परिणाम आए और ई-वाहनों की संख्या बढ़कर सितंबर-नवंबर में नौ प्रतिशत हो गयी। नव वर्ष से सैकड़ों इलेक्ट्रिक बसें भी सड़कों पर दौड़ सकती है जिन्हें परिवहन विभाग द्वारा खरीदा जा रहा है।

बजट में सरकार ने यह भी घोषणा की कि दिल्ली 2048 ओलंपिक के लिए दावा पेश करेगी और इसके लिए एक खाका तैयार कर लिया गया है।

प्रदूषण के मोर्चे पर केजरीवाल ने 2025 तक यमुना नदी को स्वच्छ बनाने के लिए छह सूत्री कार्य योजना बनायी। शहर में कोविड-19 की दूसरी लहर और लॉकडाउन तथा बाद में बिगड़ती आबोहवा के लिए निर्माण कार्यों पर लगी रोक के कारण बुनियादी ढांचे का विकास भी प्रभावित हुआ।

इस साल के खत्म होते-होते अब दिल्ली में कोरोना वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के कारण फिर से पाबंदियां लागू हो गयी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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