जानिए कौन हैं उम्रकैद पाने वाले बर्खास्त IPS संजीव भट्ट, गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका पर उठाए थे सवाल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 20, 2019 01:13 PM2019-06-20T13:13:06+5:302019-06-20T14:55:54+5:30

संजीव भट्ट ने साल 1989 में एक सांप्रदायिक दंगे के दौरान एक सौ से अधिक व्यक्तियों को हिरासत में लिया था और इन्हीं में से एक व्यक्ति की रिहाई होने के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। इस घटना के वक्त वह गुजरात के जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे।

1990 custodial death: IPS officer Sanjiv Bhatt gets life imprisonment | जानिए कौन हैं उम्रकैद पाने वाले बर्खास्त IPS संजीव भट्ट, गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका पर उठाए थे सवाल

2002 गुजरात दंगे में संजीव भट्ट ने पीएम मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए थे।

Highlightsसरकारी वाहन का दुरुपयोग करने के आरोप में 2011 में संजीव भट्ट को निलंबित किया गया था संजीव भट्ट को अगस्त, 2015 में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 30 साल पुराने मामले में जामनगर की एक अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। संजीव भट्ट 2002 गुजरात दंगे पर सवाल उठा चुके हैं। वह पीएम मोदी के खिलाफ लगातार मुखर रहे हैं। 

क्या है मामला

यह मामला 1990 का है जब भट्ट गुजरात के जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे। उन्होंने जाम जोधपुर कस्बे में सांप्रदायिक दंगों के दौरान करीब 150 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें से प्रभुदास वैशनानी नाम के एक शख्स की हिरासत से रिहा किए जाने के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी। वैशनानी के भाई ने बाद में भट्ट और छह अन्य पुलिसवालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराकर आरोप लगाया था कि उन्होंने हिरासत के दौरान उसके भाई को प्रताड़ित किया जिसकी वजह से उसकी जान गई। संजीव भट्ट को बगैर अनुमति के ड्यूटी से अनुपस्थित रहने और सरकारी वाहन का दुरुपयोग करने के आरोप में 2011 में निलंबित किया गया था और बाद में अगस्त, 2015 में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। भट्ट 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी थे।

पीएम मोदी पर लगाए थे आरोप

बीबीसी में छपी खबर के अनुसार, संजीव भट्ट गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने 2002 में गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। संजीव भट्ट सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गए थे। इस हलफनामे में उन्होंने गुजरात के तत्कालीन सीएम मोदी पर सवाल उठाए थे और कहा था कि गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) में उन्हें भरोसा नहीं है।

हलफनामे में भट्ट ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा था कि गोधरा कांड के बाद 27 फरवरी, 2002 की शाम में मुख्यमंत्री की आवास पर हुई बैठक में वे मौजूद थे, जिसमें मोदी ने कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों से कहा था कि हिंदुओं को अपना गुस्सा उतारने का मौका दिया जाना चाहिए।

Web Title: 1990 custodial death: IPS officer Sanjiv Bhatt gets life imprisonment

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