नागरिकता (संशोधन) विधेयक के विरोध में वामपंथी विचारधारा वाले करीब 16 संगठनों ने 10 दिसंबर को 12 घंटे का असम बंद आहूत किया है। पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एनईएसओ) इसी मुद्दे को लेकर मंगलवार को सुबह पांच बजे से 11 घंटे के पूर्वोत्तर बंद का पहले ही आह्वान कर चुका है। कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के सलाहकार अखिल गोगोई ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केएमएसएस और उसके सहयोगी संगठनों ने इन संगठनों और छात्र संगठन द्वारा बुलाए गए बंद को अपना समर्थन जताया है।
उन्होंने बताया कि केएमएसएस ने सूटिया, मोरान और कोच-राजबोंग्शी जैसे विभिन्न आदिवासी छात्र निकायों द्वारा सोमवार को आहूत 12 घंटे के असम बंद को भी समर्थन दिया है। एसएफआई, डीवाईएफआई, एआईडीडब्ल्यूए, एसआईएसएफ, आइसा, इप्टा जैसे 16 संगठनों ने संयुक्त बयान में “विधेयक को रद्द करने” की मांग की और मंगलवार को सुबह पांच बजे से “12 घंटे का असम बंद” आहूत किया। हालांकि नगालैंड में जारी होर्नबिल फेस्टिवल की वजह से उसे बंद के दायरे से छूट दी गई है। केंद्र सरकार सोमवार को इस विधेयक को संसद में पेश कर सकती है।
इधर, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और वरिष्ठ मंत्री हिमंत बिश्व शर्मा ने रविवार को दावा किया कि राज्य हित के विरोधी बल आंदोलनों के माध्यम से “विभिन्न समुदायों के बीच कलह’’ पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और युवाओं से इन आंदोलनों में शामिल होने की बजाए विकास के लिए कड़ी मशक्कत करने की अपील की।
भाजपा नेताओं की यह अपील नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ राज्य भर में तेज हो रहे विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में आई है जिसके सोमवार को संसद में पेश किए जाने की संभावना है। सोनोवाल ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, “राज्य की युवा पीढ़ी को कड़ी मेहनत, समर्पण, ईमानदारी एवं निष्ठा से असम को वैश्विक मंच पर लाने का प्रयास करना चाहिए तथा उन्हें अपने जीवन का बहुमूल्य समय आंदोलनों एवं प्रदर्शनों में बर्बाद नहीं करना चाहिए।”इसी कार्यक्रम में, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं मंत्री हिमंत बिश्व शर्मा ने लोगों से उन बलों को सफल नहीं होने देने की अपील की जो विभिन्न समुदायों के बीच कलह पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि राज्य को पिछले 40-50 वर्षों में आंदोलनों से कुछ नहीं मिला है। दूसरी तरफ पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने संसद में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश करने के राजग सरकार के फैसले की सराहना की।पार्टी ने चंडीगढ़ में कहा कि लंबे समय से लंबित उनकी मांग मान ली गई है। हालांकि पार्टी ने कहा कि विधेयक में सताए गए हर व्यक्ति को शामिल किया जाना चाहिए चाहे उसका धर्म कुछ भी हो। पार्टी ने कहा कि देश के धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक ढांचे के साथ ही मानवीय सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, मुस्लिमों को उनके धर्म के आधार पर विधेयक से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए था।