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डायबिटीज का इलाज : वैज्ञानिकों का दावा, बाजरा और हरे कटहल से भी कंट्रोल हो सकती है शुगर की बीमारी, जानें कैसे

By उस्मान | Updated: July 30, 2021 12:02 IST

डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है और इसे बेहतर जीवनशैली और खानपान के जरिये कंट्रोल रखा जा सकता है

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ठळक मुद्देडायबिटीज का कोई इलाज नहीं है इसे बेहतर जीवनशैली और खानपान के जरिये कंट्रोल रखा जा सकता हैहरे कटहल का आटा शुगर कम करने में सहायक

डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है और इसे बेहतर जीवनशैली और खानपान के जरिये कंट्रोल रखा जा सकता है। एक नए अध्ययन में सामने आया है कि अगर लोग अपने खाने की खुराक में बाजरे को शामिल करें तो उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है। इसी तरह एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि कटहल का आटा भी शुगर लेवल कंट्रोल करने में सहायक है। 

डायबिटीज कंट्रोल करने के लिये बाजरा

बाजरा रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है। जिन लोगों को यह अंदेशा रहता है कि उन्हें डायबिटीज हो सकता है तो उन्हें बाजरे को अपनी खुराक में शामिल करना चाहिए, क्योंकि इससे जीवनशैली से जुड़ी बीमारी को दूर रखने में मदद मिल सकती है।

अध्ययन में कहा गया है कि डायबिटीज के मरीज और डायबिटीज होने की दहलीज (प्री डायबिटिक) पर पहुंच चुके लोगों को अपनी खुराक में बाजरे को शामिल करना चाहिए। साथ में डायबिटीज की बीमारी से बचने के लिए निवारक उपाय के तौर पर स्वस्थ लोग भी इसे अपनी खुराक में शामिल कर सकते हैं। 

बाजरा और डायबिटीज पर इस अध्ययन का नेतृत्व स्मार्ट फूड इनिशिएटिव ऑफ आईसीआरआईएसएटी ने किया जिसमें हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन), ब्रिटेन के रीडिंग विश्वविद्यालय और अन्य संस्थान शामिल हैं।

11 देशों में हुए शोध के आधार पर किए अध्ययन में पता चला है कि मधुमेह के जो मरीज अपनी दैनिक खुराक के साथ बाजरे का सेवन करते हैं उनके रक्त में शर्करा की मात्रा 12-15 प्रतिशत कम हो जाती है और वे डायबिटीज पीड़ित से मधुमेह की दहलीज़ (प्री डायबिटिक) वाली श्रेणी में आ जाते हैं। डायबिटीज का कोई समाधान नहीं और इसके लिए जीवन शैली में बदलाव करने की जरूरत होती है और खुराक इसका एक अहम हिस्सा है। 

डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए हरे कटहल का आटा 

दैनिक आहार में हरे कटहल का आटा इस्तेमाल किए जाने से टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में प्लाज्मा शर्करा के स्तर को कम करने में काफी मदद मिल सकती है। यह बात एक अध्ययन में कही गई है और इससे संबंधित रिपोर्ट पत्रिका ‘नेचर’ में प्रकाशित हुई है। 

अध्ययन में हरे कटहल के आटे ‘जैकफ्रूट 365’ के प्रभाव का मूल्यांकन किया। यह पेटेंट प्राप्त एक उत्पाद है जो भारत के हरे कटहल से बना है। इसमें 40 लोगों को शामिल किया गया और हरे कटहल के आटे का इस्तेमाल करनेवाले समूह में एचबीए1सी के स्तर में काफी कमी देखी गई। 

अध्ययन में खाली पेट और भोजन के बाद, दोनों समय के शर्करा स्तर का मूल्यांकन किया गया और पता चला कि आहार में कटहल के आटे का इस्तेमाल किए जाने के सात दिन के भीतर औसत रक्त शर्करा स्तर में कमी आ गई। 

इस अध्ययन से मधुमेह के इलाज में चिकित्सीय आहार पद्धति के लिए हरे कटहल के लाभों का पता चलता है तथा ये परिणाम पारंपरिक भारतीय आहार पर आगे और अनुसंधान के लिए प्रेरित कर सकते हैं।  

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

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