लाइव न्यूज़ :

'स्किन सफर' शुरू, 18 राज्यों में जड़ से खत्म की जाएगी कुष्ठ रोग, सफेद दाग की समस्या

By उस्मान | Updated: December 22, 2018 12:09 IST

इस अभियान के तहत जागरूकता वाहन दिल्ली, गुरुग्राम, करनाल, सोनीपत, मुंबई, पुणे, गोवा, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, गुवाहाटी,  पटना, लखनऊ, ग्वालियर, आगरा, नोएडा आदि जैसे क्षेत्रों से गुजरेगा। इस पूरी पहल का उद्देश्य लोगों को कुष्ठरोग, सफेद दाग जैसी त्वचा और बाल की समस्याओं से जुड़े में मिथकों और तथ्यों से अवगत कराना है।

Open in App

त्वचा चिकित्सकों के दुनिया के सबसे बड़े संगठन 'आईएडीवीएल' ने देशभर में पहली बार 'आईएडीवीएल स्किन सफर' शुरू किया है। भारत में त्वचा स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता कायम करने के लिए पूरे देश के 18 राज्यों में 60 दिनों की भीतर 12,000 किलोमीटर की यात्रा पूरी की जाएगी। 

यह यात्रा नई दिल्ली से शुरू हो गई है। इस अभियान के तहत जागरूकता वाहन दिल्ली, गुरुग्राम, करनाल, सोनीपत, मुंबई, पुणे, गोवा, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, गुवाहाटी,  पटना, लखनऊ, ग्वालियर, आगरा, नोएडा आदि जैसे क्षेत्रों से गुजरेगा। इस पूरी पहल का उद्देश्य लोगों को कुष्ठरोग, सफेद दाग जैसी त्वचा और बाल की समस्याओं से जुड़े में मिथकों और तथ्यों से अवगत कराना है।

सर गंगा राम हॉस्पिटल में त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रोहित बत्रा  कहा, 'लोग अक्सर अपने निजी उद्देश्यों के लिए होने वाली राजनीतिक दलों की 'यात्रा' के बारे में सुनते रहते हैं। लेकिन यहां स्किन सफर रथ एक महत्वाकांक्षी गतिविधि है, जो 60 दिनों तक चलेगी और भारत में 18 राज्यों को कवर करते हुए लगभग 12,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।

आईएडीवीएल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर मुकेश गिरधर ने कहा, 'ल्यूकोडरर्मा के सामान्य नाम से जानी जाने वाली विटिलिगो त्वचा की बीमारी है जिससे आपको कई समस्याएं हो सकती हैं। विटिलिगो दुनिया भर में लगभग 0.5 फीसदी से एक फीसदी लोगों को प्रभावित करती है लेकिन भारत में इसका प्रसार काफी अधिक 3 प्रतिशत है और यहां इस बीमारी को लेकर कई मिथक भी प्रचलित है। 

आईएडीवीएल के संयुक्त सचिव डॉक्टर दिनेश कुमार के अनुसार, एलसीडीसी के कारण भारत में वर्तमान में प्रति 10 हजार व्यक्ति में से 0.66 व्यक्ति को नवजयठ रोग है। कुष्ठ रोग से अधिक प्रभावित क्षेत्रों की पहचान की जा रही है इसलिए अब यह नियंत्रण में है। दोनों ही कारकों के बिल्कुल अलग होने, नैदानिक पुष्टि और सार्वजनिक जागरूकता की कमी के कारण कु-ुनवजयठ रोग के निदान में देरी होती है। 

टॅग्स :हेल्थ टिप्समेडिकल ट्रीटमेंट
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यBengaluru: सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सेक्सुअल हेल्थ के इलाज के लिए बैंक लोन लेकर खरीदी थी जड़ी-बूटी, हो गई किडनी की समस्या, ₹48 लाख का हुआ नुकसान

स्वास्थ्यDinner Timing Matters: सर्दियों में जल्दी खाना क्यों बन सकता है हेल्थ गेम-चेंजर?

स्वास्थ्यअध्ययन: बच्चों में बढ़ती हिंसा और उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

स्वास्थ्यभारतीय वैज्ञानिकों ने गर्भ के अंदर 'जेनेटिक स्विच' का पता लगाया, गर्भावस्था में हो सकता मददगार

स्वास्थ्यक्या ‘बेरी’ खाना सुरक्षित है? कीटनाशक डाइमेथोएट के बारे में चिंता करना कितना सही

स्वास्थ्य अधिक खबरें

स्वास्थ्यपराली नहीं दिल्ली में जहरीली हवा के लिए जिम्मेदार कोई और?, दिल्ली-एनसीआर सर्दियों की हवा दमघोंटू, रिसर्च में खुलासा

स्वास्थ्यखांसी-जुकामः कफ सीरप की बिक्री पर लगाम कसने की कोशिश

स्वास्थ्यपुरुषों की शराबखोरी से टूटते घर, समाज के सबसे कमजोर पर सबसे ज्यादा मार

स्वास्थ्यकश्‍मीर की हवा, कोयला जलाने की आदत, आंखों में जलन, गले में चुभन और सांस लेने में दिक्कत?

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत