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वैज्ञानिकों ने बना ली आर्टिफिशियल किडनी, डायलिसिस के लिए अब हर दूसरे दिन नहीं भागना पड़ेगा अस्पताल

By उस्मान | Updated: May 17, 2019 18:03 IST

वैज्ञानिकों एक आर्टिफिशियल किडनी बनाई है जिसे विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक बताया जा रहा है। हालांकि मनुष्यों में इसका परीक्षण अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन इस आविष्कार से उन मरीजों में उम्मीद जगी है, जो किडनी ट्रांसप्लांट के लिए नंबर लगाए बैठे हैं।

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कई वर्षों के शोध और परीक्षणों के बाद, वैज्ञानिक आखिरकार किडनी की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए एक नया इलाज खोजने में कामयाब हो गए हैं। वैज्ञानिकों एक आर्टिफिशियल किडनी बनाई है जिसे विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक बताया जा रहा है। हालांकि मनुष्यों में इसका परीक्षण अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन इस आविष्कार से उन मरीजों में उम्मीद जगी है, जो किडनी ट्रांसप्लांट के लिए नंबर लगाए बैठे हैं।

नेशनल किडनी फाउंडेशन के अनुसार, दुनिया की लगभग 10% जनसंख्या क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित है और लगभग 2 मिलियन लोग किडनी फेलियर का इलाज करा रहे हैं और उन्हें जीवित रहने के लिए नियमित रूप से डायलिसिस से गुजरना पड़ता है।

शरीर में किडनी का मुख्य काम फिल्टर करना है जिससे शरीर के अतिरिक्त तरल पदार्थ नष्ट होते हैं साथ ही शरीर की गंदगी साफ होती है। आपको बता दें कि डायलिसिस की प्रक्रिया के दौरान, किडनी के बजाय एक विशेष उपकरण काम करता है। किडनी के सही तरह काम नहीं करने की वजह से यह उपकरण ही खून का साफ करता है।

जाहिर है यह उपकरण बाहर से काम करता है जिसकी वजह से मरीजों को अस्पताल में जाकर हर दूसरे दिन अपना खून साफ करवाना होता है। अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा विकसित आर्टिफिशियल किडनी को मरीजों के शरीर में लगाया जाएगा, जिससे खून साफ होता रहेगा और मरीजों को बार-बार अस्पताल के चक्कर नहीं लगाने होंगे। 

इस परियोजना की शुरुआत अमेरिका में वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर विलियम एच।फिसेल ने की थी और जल्द ही इसका मनुष्यों में परीक्षण शुरू होने वाला है। इस उपकरण का सबसे बड़ा तत्व माइक्रोचिप है , जो फिल्टर का काम करेगी। इस चिप को जिंदा किडनी की सेल्स से बनाया गया है, जो मनुष्य की किडनी की तरह काम करती है। आर्टिफिशियल किडनी में इस तरह की 15 चिप लगी हुई हैं ताकि खून अच्छी तरह साफ हो सके।

वैज्ञानिक अभी भी बायोनिक किडनी में सुधार कर रहे हैं, इसे अलग-अलग माइक्रोचिप्स के साथ परीक्षण कर रहे हैं। वे वर्ष 2020 तक मानव शरीर में संचालन के अपने पहले परिणामों को दिखाने के लिए परियोजना की उम्मीद करते हैं।

किडनी डिजीज के मुख्य लक्षण लगातार थकान जी मिचलाना पैरों में सूजन खुजली होनाआंख और चेहरे पर सूजनपेशाब कम आना

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