फिल्म हिचकी में रानी मुखर्जी एक 'लाइलाज' बीमारी से पीड़ित है, जानें क्या है 'टॉरेट सिंड्रम'
By गुलनीत कौर | Published: March 26, 2018 09:54 AM2018-03-26T09:54:16+5:302018-03-26T09:54:16+5:30
अमरीका में हुए एक शोध के अनुसार टॉरेट सिंड्रम लड़कियों की बजाय लड़कों को अधिक होती है।
तो क्या आपने रानी मुखर्जी की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'हिचकी' देख ली? फिल्म में रानी नैना माथुर का किरदार निभा रही हैं। पूरी फिल्म में नैना के संघर्ष को दिखाया गया है कि कैसे वह एक सफल शिक्षक बनने के लिए दुनिया से लड़ रही है। दरअसल फिल्म में रानी को एक बीमारी से पीड़ित दिखाया गया है जिसके चलते कोई भी नार्मल स्कूल उन्हें नौकरी पर नहीं रखना चाहता है। लेकिन नैना अपनी बीमारी की दीवारों को लांघती हुई अंत में अपने लक्ष्य में सफल हो जाती है। यह फिल्म पूरी तरह से नैना माथुर के जज्बे पर आधारित है लेकिन साथ ही नैना की उस बीमारी पर भी गहराई से रोशनी डालती है। आइए आपको विस्तार से बताते हैं फिल्म में आखिर नैना को क्या बीमारी है और ये किन कारणों से होती है।
यह भी पढ़ें: इरफान खान की बीमारी को लेकर फिर आई ये खबर, प्रवक्ता ने किया खुलासा
क्या है टॉरेट सिंड्रम?
फिल्म हिचकी में रानी मुखर्जी उर्फ नैना माथुर को 'टॉरेट सिंड्रम' है। यह एक प्रकार का न्यूरोसाइकाइअट्रिक डिसऑर्डर है जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यह बचपन में ही हो जाता है। यह इंसान की तंत्रिका तंत्र को अपनी चपेट में ले लेता है जिसके चलते दिन में कई बार मरीज अचानक से कुछ अजीबो-गरीब हरकत करता है। इन हरकतों को विज्ञान की भाषा में 'टिक्स' कहा जाता है। इन टिक्स के चलते मरीज अलग-अलग हरकतें करता है जैसे कि अचानक आँखें झपकाना, शब्दों को दोहाराना, हिचकी आना, गला साफ करना, होठों को हिलाना, शरीर के किसी अंग का झटके मारना, आदि हरकतें करता है। लेकिन इस बीमारी के चलते उसके मानसिक या शारीरिक विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। वह अन्य लोगों की तरह ही सोचने और कार्य करने की क्षमता रखता है।
कैसे होता है टॉरेट सिंड्रम?
अभी तक टॉरेट सिंड्रम के जितने भी मामले देश-दुनिया में सामने आए हैं उनके बारे में डॉक्टरों का यही कहना है कि यह बीमारी बचपन में अपने आप ही हो जाती है। यह केवल और केवल दिमागी गतिविधियों के कारण होती है। विज्ञान के अनुसार जब इंसान के दिमाग में मौजूद बेसल गैंग्लिया में किसी प्रकार की कोई दिक्कत आती है तो उसका शरीर का कोई एक अंग अजीबो-गरीब तरीके से बर्ताव करने लगता है। इसके पीछे का असल कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है।
एक शोध के अनुसार अमरीका में 1 लाख से भी अधिक लोग इस टॉरेट सिंड्रम से पीड़ित हैं लेकिन इन लोगों पर बीमारी का असर काफी कम है। शोध की मानें तो यह बीमारी लड़कियों की बजाय लड़कों को अपना शिकार अधिक बनाती है। हालांकि यह बीमारी बचपन में ही लग जाती है लेकिन शोध की रिपोर्ट के अनुसार जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, इसका प्रभाव कम होने लगता है।
यह भी पढ़ें: Hichki Movie Review: बहुत कुछ सिखाती है रानी मुखर्जी की ये फिल्म
टॉरेट सिंड्रम का इलाज
अभी तक डॉक्टर टॉरेट सिंड्रम की जड़ों को खोज नहीं पाए हैं। इंसान के ब्रेन में ऐसी हरकतें क्यूं होती हैं, ब्रेन में होने वाले इस अचानक बदलाव के कारण क्या हैं, यदि इनके बारे में पता लगा लिया जाए तो ईस बीमारी का पूर्ण इलाज संभव है। लेकिन तब तक साइकोलॉजिकल थेरेपी और दवाओं की मदद से ही इसका इलाज किया जा सकता है।