AIIMS ने निकाला तोड़, गर्भवती महिलाएं होंगी एनीमिया मुक्त, गर्भावस्था के दौरान नहीं खानी पड़ेंगी आयरन की गोलियां
By एसके गुप्ता | Published: March 1, 2020 09:06 AM2020-03-01T09:06:48+5:302020-03-01T09:06:48+5:30
एक शोध के दौरान महाराष्ट्र के नागपुर, बिहार के मधुबनी और मध्यप्रदेश के सीहोर की 61% गर्भवती महिलाओं में एनीमिया यानी खून की कमी पाई गई थी.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने गर्भवती महिलाओं में खून की कमी से होने वाले रोग एनीमिया का तोड़ निकाला है. जिससे महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आयरन की गोलियां नहीं खानी पड़ेंगी. एम्स ने केंद्र सरकार से अपील की है कि महाराष्ट्र के नागपुर, विदर्भ, उस्मानाबाद, वाशिम, गढ़चिरोली, नंदूरबार सहित देश के आकांक्षी जिलों-क्षेत्रों में इस शोध का लाभ गर्भवती महिलाओं को दिया जाए.
एम्स सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. पुनीत मिश्रा ने कहा कि हरियाणा के बल्लभगढ़ में करीब 200 गर्भवती महिलाओं पर एम्स ने रिसर्च किया है. इन गर्भवती महिलाओं में खून की कमी, हीमोग्लोबिन कम होना जैसी समस्याएं थीं. जिन्हें तीन माह की गर्भवास्था के बाद फेरिक कार्बोक्सीमालटोस (एफसीएम) इंजेक्शन लगाया गया. जिसके बाद इन महिलाओं के स्वास्थ्य में जबरदस्त बदलाव देखने में आया है. न केवल गर्भवती महिलाएं बल्कि उनके शिशु के स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ है.
एम्स सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. शशिकांत ने इस संबंध में केंद्र सरकार से गुजारिश की है कि इस इंजेक्शन का लाभ देश के आकांक्षी जिलों की गर्भवती महिलाओं को मिले. प्रो. पुनीत मिश्रा ने लोकमत समाचार से कहा कि ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में फेरिक कार्बोक्सीमालटोस इंजेक्शन का इस्तेमाल लोगों में खून की कमी दूर करने के लिए होता है. लेकिन विश्व में एम्स ने पहली बार गर्भवती महिलाओं पर इस इंजेक्शन का प्रयोग कर शोध किया है. जिसके नतीजे काफी साकारात्मक नजर आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह महाराष्ट्र सहित देश के आकांक्षी जिलों में गर्भवती महिलाओं के लिए यह इंजेक्शन फ्री में उपलब्ध कराए. यह इंजेक्शन गर्भावस्था में एक बार लगता है और इसे लगाने के बाद आयरन की गोलियां खाने से गर्भवती महिला को मुक्ति मिल जाती है.
नागपुर की 61% गर्भवती महिलाओं में एनीमिया
एक शोध के दौरान महाराष्ट्र के नागपुर, बिहार के मधुबनी और मध्यप्रदेश के सीहोर की 61% गर्भवती महिलाओं में एनीमिया यानी खून की कमी पाई गई थी. मिश्रा ने कहा कि भारत में एनीमिया मुक्त अभियान पिछले 60 वर्षों से चल रहा है. लेकिन एम्स ने वर्ष-2018 में एनीमिया मुक्त अभियान की शुुरुआत की है. जिसके बाद केंद्र सरकार ने हर वर्ष 3% एनीमिया मुक्तिकरण का लक्ष्य रखा है. इस दिशा में ताकत वाला चावल-फोर्टिफाइड राइस बांटने की योजना पर काम चल रहा है. सरकार अगर एफसीएम की सुविधा देश के अस्पतालों और मेटरनिटी सेंटर में मुफ्त उपलब्ध करा देगी तो इससे एनीमिया को नियंत्रित करने में बहुत हद तक सफलता मिलेगी.