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PCOD treatment : जानिये क्या है महिलाओं को होने वाली बीमारी PCOD, लक्षण, कारण, बचाव और इलाज

By उस्मान | Updated: September 14, 2021 15:45 IST

पीसीओडी महिअलों को होने वाली आम समस्या गई है जिसमें हॉर्मोन्स के बिगड़े अनुपात की वजह से ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट यानी गांठें हो जाती हैं

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ठळक मुद्देपीसीओडी महिअलों को होने वाली आम समस्याइसमें ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट यानी गांठें हो जाती हैंकुछ आदतों में सुधार करके पाई जा सकती है राहत

पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिसीज या पीसीओडी (PCOD) आजकल महिलाओं में होने वाली आम समस्या बन गई है। इस बीमारी में हॉर्मोन्स के बिगड़े अनुपात की वजह से ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट यानी गांठें हो जाती हैं।

ग्वालियर स्थित जय आरोग्य हॉस्पिटल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ और गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर शिराली रुनवाल एमएस आपको पीसीओडी के कारण, लक्षण और बचाव के उपायों के बारे में जानकारी दे रही हैं।

किन महिलाओं को है पीसीओडी का ज्यादा खतरा

यह समस्या पहले 25 से 35 वर्ष की महिलाओं में देखने को मिला करती थी, परंतु अब यह 15-16 वर्ष की किशोरियों में भी तेजी से इसकी चपेट में आ रही हैं. पीसीओडी की समस्या उन महिलाओं में अधिक देखने को मिल रही है, जो नाइट शिफ्ट में काम करती हैं। 

पूरी रात जागना, देर रात खाना जैसी लाइफस्टाइल उनकी सेहत को भारी नुकसान पहुंचा रही है। क्योंकि इस तरह के रूटीन से बायॉलोजिकल क्लॉक डिस्टर्ब हो जाती है, जो इस दिक्कत को बढ़ाने में बड़ा रोल निभाती है।

विद्या बालन, सारा अली खान और ऐश्वर्या राय बच्चन जैसी फिल्मी हस्तियां भी इस बीमारी का सामना कर चुकी हैं। हालांकि उन्होंने उच्च मनोबल, डायट कंट्रोल व एक्सरसाइज के दम पर पीसीओएस जैसी बीमारी पर फतह हासिल की है। 

पीसीओडी के कारण

लाइफ में तेजी से बढ़ता स्ट्रेस, स्मोकिंग और ड्रिकिंग भी पीसीओडी के मुख्य कारण हो सकते हैं, क्योंकि इनसे महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन्स का स्तर गड़बड़ा जाता है। वहीं, कुछ मामलों में वंशानुगत रूप से भी यह समस्या हो सकती है।

पीसीओडी के मुख्य लक्षण

1. चेहरे पर बाल उगना2. वजन बढ़ना3. पीरियड्स का अनियमित होना4. प्रेग्‍नेंसी में अनावश्यक देरी होना (निसंतानता/बांझपन) 5. स्किन संबंधी प्रॉब्‍लम्‍स जैसे अचानक भूरे रंग के धब्बों का उभरना या बहुत ज्यादा मुंहासे होना 

पीसीओडी से बचाव के उपाय

बैलेंसड डायट लें1. मौसम के अनुसार ही खान-पान अपनाएं2. जितना अधिक हो सके प्रॉसेस्ड फूड से दूर रहें3. फाइबर बेस्ड डायट लें4.खाने में सब्जियां, दालें, दलिया आदि शामिल करें5. जंक/फास्ट फूड से दूरी बना लें6. ड्राई फ्रूट्स, नट्स, दूध, दही, छाछ का सेवन करें

रोजाना एक्सरसाइज है जरूरीदिन में महज 30 मिनट का नियमित व्यायाम जैसे कि स्विमिंग, ब्रिस्क वाकिंग,जॉगिंग, योग, ज़ुम्बा डांस, एरोबिक्स, साइक्लिंग आदि पीसीओएस की समस्या से उबरने में सहायक सिद्ध होते हैं। सिर्फ 5 प्रतिशत वजन कम करने से भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

पीसीओडी का निदान एवं उपचार

फुल हार्मोनल प्रोफाइल व अल्ट्रासाउंड के पश्चात आपके डॉक्टर लक्षणों व संकेतों को आधार बनाकर यह तय करते हैं कि आपको उक्त रोग है या नहीं। इसके बाद उचित सलाह व मार्गदर्शन कर दवाइयों का सेवन कराया जाता है। 

यह न केवल तात्कालिक उपचार में मदद करता है बल्कि इसके लॉन्ग-टर्म बेनिफिट्स भी हैं, जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हार्ट-अटैक मेटाबॉलिक सिंड्रोम तथा एंडोमेट्रियल कैंसर से रक्षा। याद रहे कि बीमारी लाइलाज नहीं है लेकिन समुचित देखभाल एवं रख-रखाव से पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) से निबटा जा सकता है।

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