सिगरेट पीने वाले के पास रुकना भी कैंसर को न्योता!, जानें क्या है रिपोर्ट
By सैयद मोबीन | Published: December 11, 2023 03:33 PM2023-12-11T15:33:31+5:302023-12-11T15:35:44+5:30
कैंसर में से फेफड़े का कैंसर 10 प्रतिशत है और 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर धूम्रपान के कारण होते हैं. इसलिए धूम्रपान छोड़ दिया तो फेफड़े के कैंसर से बचा जा सकता है.
नागपुर: ऐसा नहीं है कि केवल सिगरेट पीने वाले को ही फेफड़े के कैंसर का खतरा रहता है बल्कि सिगरेट पीते समय वहां रुकने वालों को भी कैंसर का खतरा रहता है. इसे पैसिव स्मोकिंग कहते हैं.
इसलिए जितना हानिकारक सिगरेट पीना है, उतना ही खतरनाक सिगरेट पीने वाले के पास मौजूद रहना भी है. लेकिन हम इसकी अनदेखी करते हैं और यही बाद में हमारे लिए नुकसानदेह साबित होता है. इस बात को गंभीरता से लेना जरूरी है ताकि फेफड़े के कैंसर से बचा जा सके.
फेफड़े के कैंसर के चार चरण
पहला चरण: पहले चरण में यह कैंसर फेफड़ों में पाया जाता है लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैलता.
दूसरा चरण: दूसरे चरण में यह कैंसर लिम्फ नोड्स सहित फेफड़ों में फैलता दिखाई देता है.
तीसरा चरण: तीसरे चरण में फेफड़ों और सीने के बीच में लिम्फ नोड्स में कैंसर होता है.
चौथा चरण: चौथे चरण में कैंसर फेफड़े सहित शरीर के अन्य हिस्सों में फैलता है.
धूम्रपान फेफड़े के कैंसर का मुख्य जोखिम कारक
सभी कैंसर में से फेफड़े का कैंसर 10 प्रतिशत है और 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर धूम्रपान के कारण होते हैं. इसलिए धूम्रपान छोड़ दिया तो फेफड़े के कैंसर से बचा जा सकता है. हर साल निदान होने वाले नए कैंसर में 7 प्रतिशत कैंसर फेफड़े के होते हैं.
इनमें हर साल लगभग 70 हजार नए मरीजों में फेफड़े के कैंसर का निदान होता है. धूम्रपान के अलावा फेफड़े के कैंसर के कारणों में आनुवंशिक कारण, बढ़ता प्रदूषण, लगातार प्रदूषित वायु के संपर्क में रहना, लंबे समय तक फेफड़े के विकार आदि का समावेश है.
पैसिव स्मोकिंग से 20-30% फेफड़े के कैंसर की आशंका : डॉ. नितिन बोमनवार
कैंसर शल्य चिकित्सक डॉ. नितिन बोमनवार ने बताया कि देखने में आया है कि जो युवा धूम्रपान नहीं करते लेकिन पैसिव स्मोकिंग का शिकार होते हैं तो उनमें 20 से 30 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर की आशंका होती है. यहां तक कि थोड़े समय के लिए भी धूम्रपान के संपर्क में आने से शरीर में कैंसर की प्रक्रिया शुरू हो सकती है.
धूम्रपान से परहेज करके कैंसर से बचा जा सकता है. पैसिव स्मोकिंग से भी बचना जरूरी है. कुछ लोग यह सोचकर कि हमें कुछ नहीं होता, धूम्रपान करते जाते हैं. लेकिन किसी को नहीं हुआ तो आपको भी नहीं होगा, यह मानकर न चलें बल्कि तुरंत धूम्रपान करना छोड़ दें और कोई धूम्रपान कर रहा है तो उस समय उससे दूरी बनाए.
ये हैं पूर्व लक्षण
फेफड़े के कैंसर के पूर्व लक्षणों में लंबे समय तक खांसी व कफ होना, खांसी और कभी थूक में रक्त आना, सांस लेने में तकलीफ होना, चेहरे व आवाज में बदलाव आना, रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने से निरंतर फेफड़े का इंफेक्शन व निमोनिया होना इन लक्षणों का समावेश है.
इसके अलावा लंबे समय तक बुखार रहना, कमजोरी, वजन कम होना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं. इन लक्षणों की अनदेखी करने के बजाय तुरंत कैंसर विशेषज्ञ का सलाह लेना जरूरी है. योग्य उपचार और पूर्व निदान द्वारा फेफड़े का कैंसर ठीक हो सकता है.
पूर्व लक्षण दिखाई दे तो समय गंवाए बगैर उसका निदान करना चाहिए. कैंसर कौनसे चरण में है, उसके आधार पर कैंसर का उपचार तय होता है. प्राथमिक चरण या जब कैंसर शरीर में नहीं फैला है, उस समय ऑपरेशन प्रभावी होता है. साथ में कीमोथेरेपी और रेडिएशन भी महत्वपूर्ण होता है.