मानसून का मौसम जितना सुहाना होता है उतना ही खतरनाक भी होता है। इस मौसम में डेंगू, मलेरिया, वायरल, हैजा के अलावा खुजली, दाने, रूखापन, टैनिंग, फोड़े-फुंसी, मुंहासे, फंगल इन्फेक्शन जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं का भी बड़ा खतरा होता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि बारिश के मौसम में नमी बढ़ जाती है और त्वचा से ऑयल ज्यादा बहता है जिससे स्किन इन्फेक्शन का अधिक खतरा होता है। चलिए जानते हैं कि इस मौसम में आपको त्वचा से जुड़ीं क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं और आप उनसे कैसे राहत पा सकते हैं।
1) खुजली वाले दानेबारिश के दिनों पसीने वाली ग्रंथियां ब्लॉक हो जाती हैं। जब पसीना बाहर निकल पाता है, तो यह आपकी त्वचा के नीचे ही बनने लगता है जिससे त्वचा पर दाने, खुजली और छाले होने लगते हैं। इनसे बचने के लिए आप ठंडी सिकाई कर सकते हैं। इसके अलावा चने के आटे का पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगा सकते हैं।
2) फोड़े-फुंसीमानसून में त्वचा पर फुंसी होना भी आम समस्या है। रोम छिद्रों के संक्रमित होने पर फुंसी होती है। यह चेहरे, खोपड़ी, बगल, पीठ, छाती, गर्दन, जांघों और नितंबों पर कहीं भी हो सकती हैं। इससे राहत पाने के लिए आप नीम के पानी से स्नान कर सकते हैं। इसके अलावा प्रभावित हिस्से पर सेब के सिरके को पानी के साथ मिलाकर लगा सकते हैं।
3) मुंहासे इस मौसम में पसीना बैक्टीरिया और तेल के साथ मिलकर त्वचा पर मुंहासे पैदा करता है। ऐसा आपके छिद्रों के बंद होने से होता है। खासकर ऑयली स्किन वालों को यह समस्या बहुत होती है। इन्हें खत्म करने के लिए आपको मुल्तानी मिट्टी में एक चम्मच सेब के सिरके को डालकर पेस्ट बनाकर प्रभावित हिस्से पर लहाना चाहिए।
4) लाल या सफेद दानेइस चिपचिपे मौसम में फोड़े होने का भी बहुत खतरा होता है। ये फोड़े मुख्य रूप से बैक्टीरिया के कारण होते हैं जो नम, पसीने वाली त्वचा पर होते हैं। कई मामलों में यह इतने पीड़ादायक हो जाते हैं कि आपको दवाओं की भी जरूरत पड़ सकती है। इनसे बचने के लिए आपको छाछ, नारियल पानी और ताजे फलों का रस और तरबूज का खूब सेवन करना चाहिए।
5) फंगल इन्फेक्शनगर्मियों में इसका सबसे अधिक खतरा होता है। फंगस त्वचा की ऊपरी सतह पर होता है यह नमी वाले हिस्से खासकर पैरों में अधिक होता है। इसके होने पर आपको तेज खुजली हो सकती है। ऐसा होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।
त्वचा रोगों से बचने के उपाय
नीम का लेपनीम में कई तरह के गुण पाये जाते हैं खास कर उसमें एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं। आप इसके पत्तों को पीस कर कुछ दिन तक इसका लेप रोजाना कुछ देर के लिए लगाएं और हल्के गुनगुने पानी से धो लें। इससे फोड़े- फुंसियों को ठीक करने में मदद मिलती है।
हल्दी और तेलहल्दी में एंटी सेप्टिक गुण होते हैं जिससे की वह आपके घाव, फुंसियों को और ज्यादा फैलने भी नहीं देती है। आप उसमें सरसों का तेल गर्म करके मिलाकर उसका गाढ़ा लेप बना कर लगाएं। इससे आपको बहुत फायदा मिलेगा। दाद, खाज खुजली से ऐसे करें बचावकम से कम साबुन, शैम्पू और डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें। अधिक केमिकल युक्त चीज़ों का इस्तेमाल बंद कर दें। नहाने के लिए ग्लिसरीन सोप का इस्तेमाल करें। नहाने के बाद पूरे शरीर पर नारियल का तेल लगाएं। कपड़े पर साबुन और डिटर्जेंट का इस्तेमाल करने के बाद उसे अच्छी तरह से धो लें। कपड़े पर साबुन और डिटर्जेंट जमा न रहने दें। दाद में से पीप या पानी निकलने पर उसे साफ पानी से धोएं।