बारिशों के मौसम में जगह-जगह एकत्रित पानी और हवा में नमी के कारण कई तरह की बीमारियाँ पनपती हैं। ये सभी मौसमी बीमारियाँ हैं लेकिन मानसून चले जाने के बाद भी हमारा पीछ्हा नहीं छोड़ती हैं। इसलिए मानसून में सेहत का अधिक ख्याल रखने की सलाह दी जाती है। बच्चे, बुजुर्ग और बड़ों के साथ-साथ प्रेग्नेंट महिलाएं मानसून में अपने स्वास्थ्य के साथ कोई लापरवाही ना करें। यहां जानिए मानसून में प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए हेल्थ टिप्स:
1) बारिशों के मौसम में खाने पीने की चीजें यदि फ्रिज में ना रखी जाएं तो इनपर बैक्टिरिया और फंग्स का संक्रमण हो जाना कॉमन है। इसलिए काफी पहले से कटी हुई सब्जी या फल को ना खाएं
2) मानसून में पानी साफ नहीं आता, ऐसे में आप इस बात पर बिलकुल भी भरोसा नहीं कर सकते हैं कि मार्केट में मिलने वाली खाने-पीने की चीजें स्वच्छ होंगी। इसलिए जितना संभव हो, बाहर का खाना खाने से बचें
3) मानसून में प्रेग्नंक्ट महिलाओं को मछली और मीट खाने से बचना चाहिए। यदि घर में किसी और के लिए पका रही हैं तो पकाते वक्त खास ध्यान रखें। क्योकि इस मौसम में इनमें इन्फेक्शन अधिक होता है
4) मानसून के मौसम में ठंडक की वजह से हमें प्यार कम लगती है। लोग सोचते हैं कि ठंडे मौसम में डिहाइड्रेशन की परेशानी नहीं हो सकती है, लेकिन यह सोच गलत है। इस मौसम में ये समस्या ज्यादा होती है। इसलिए नारियल पानी, सूप आदि चीजें अधिक मात्रा में पिएं
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5) मानसून में कपड़े धोना और उन्हें सुखाना चैलेंज भरा होता है। कपड़े जल्दी और पूरी तरह ना सूखने के कारण उन्स्में सीलन रह जाती है जो कि एलर्जी और रैशेज को अपनी ओर खींचती है। इसलिए कपड़े धोते समय पाने में डिटॉल जैसे एंटीसेप्टिक का इस्तेमाल करें
6) बारिश के मौसम में घर और आसपास की जगहों में पानी एकत्रित ना होने दें। ये डेंगू, मलेरिया को आमंत्रित करते हैं। साथ ही इनसे इन्फेक्शन भी बढ़ता है। प्रेग्नंक्ट महिला की बॉडी बीमारियों को जल्दी अपनी ओर खींचती है
7) बारिशों में भले ही ठंडक महसूस हो लेकिन इस मौसम में भी हलके, हवादार और कॉटन के कपड़े पहनें। भले ही घर में बिना पंखा चलाए रहें। लेकिन मोटे कपड़े ना पहनें। इनसे रैशेज हो सकते हैं