क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (केएफडी) Kyasanur Forest Disease (KFD ने एक बार फिर अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। जानवरों खासकर बंदर से इंसान में फैलने वाली यह एक वायरल डिजीज है और इसे 'मंकी फीवर' (Monkey Fever) के नाम से भी जाना जाता है। केरल के वायनाड जिले में इस खतरनाक बीमारी का एक नया मामला देखा गया है। 36 साल के जिस व्यक्ति को यह बीमारी हुई है उसकी हालत काफी गंभीर है।
आपको बता दें कि दो साल पहले इस बीमारी ने खूब आतंक फैलाया था। साल 2013 में इस बीमारी का पहला मामला सामने आया था।इस खतरनाक वायरस ने 2015 में केरल में कहर बरपाया था। उस समय 102 मामले सामने आए और 11 लोगों की बीमारी से मौत हो गई थी। साल 2016 में नौ मामले सामने आए थे।
क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज Kyasanur Forest Disease क्या है? क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज एक घातक वायरस से फैलने वाली बीमारी है जिसका नाम 'क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज वायरस' (KFDV) है। यह वायरस Flaviviridae फैमिली से है। केएफडीवी की पहचान 1957 में हुई, जब इसे कर्नाटक के क्यासानूर जंगल में इस बीमारी से पीड़ित एक बंदर मिला था। तब से, प्रति वर्ष 400-500 लोगों में इसके मामले देखने को मिलते हैं।
क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज के Kyasanur Forest Disease के लक्षण-सर्दी लगना- बुखार- सिरदर्द - मांसपेशियों में दर्द- उल्टी- पेट की समस्याएं- ब्लीडिंग
इंसानों में कैसे फैलता है मंकी फीवरहार्ड टिक्स (हेमाफिसैलिस स्पिनिगेरा) केएफडी वायरस के भंडार हैं और एक बार संक्रमित होने पर, जीवन के लिए बने रहते हैं। संक्रमित जानवरों द्वारा काटे जाने के बाद KFDV वायरस तेजी से फैलते हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि यह वायरस इंसान से इंसान को नहीं फैलता है।
मंकी फीवर का इलाजपीसीआर या खून से वायरस को अलग करके बीमारी के प्रारंभिक चरण में निदान किया जा सकता है। बाद में, एंजाइम से जुड़े इम्युनोसोर्बेंट सेरोगेलिक परख (एलिसा) का उपयोग करके सेरोग्लोबिक परीक्षण किया जा सकता है। केएफडी के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन शुरुआती लक्षणों के आधार पर मरीज को अस्पताल में भर्ती करके सहायक उपचार दिया जाता है।
मंकी फीवर से बचावकेएफडी के लिए एक टीका मौजूद है और इसका उपयोग भारत के स्थानिक क्षेत्रों में किया जाता है। अतिरिक्त निवारक उपायों में कीट रिपेलेंट्स और उन क्षेत्रों में सुरक्षात्मक कपड़े पहनना शामिल है जहां टिक एंडेमिक हैं।