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माइक्रोवेव अवन से है वातावरण को भारी नुकसान, शोध में हुआ खुलासा

By गुलनीत कौर | Updated: January 19, 2018 10:50 IST

सालाना माइक्रोवेव अवन से निकली कार्बन डाइऑक्साइड गैस 70 लाख गाड़ियों से निकली कार्बन डाइऑक्साइड गैस के बराबर हानिकारक बताई जा रही है।

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माइक्रोवेव अवन का इस्तेमाल कितना हानिकारक हो सकता है शायद आपने कभी सोचा भी ना हो। लेकिन ब्रिटेन की मेनचेस्टर यूनिवर्सिटी में हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार पूरे यूरोप में माइक्रोवेव अवन से जितने कार्बन डाइऑक्साइड गैस की उत्पत्ति होती है वह 70 लाख गाड़ियों से निकली कार्बन डाइऑक्साइड गैस के बराबर है। 

शोधकर्ताओं के अनुसार यूरोपीय संघ में हर साल माइक्रोवेव अवन से करीब 77 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है जो कि 'ग्लोबल वार्मिंग' को बढ़ावा देने वाली मानी जा रही है। शोधकर्ताओं ने आगे बताया कि यह गैस तकरीबन 68 लाख गाड़ियों से निकलने वाली कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा के बराबर है। 

मेनचेस्टर यूनिवर्सिटी में हुए इस शोध में माइक्रोवेव अवन की हर एक्टिविटी को ध्यान में रखा गया। उसे इस्तेमाल करने से लेकर बंद करने तक यह कितनी कार्बन डाइऑक्साइड गैस रिलीज करता है इसपर गौर किया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि ना केवल माइक्रोवेव के चलें का तरिका, बल्कि इसमें इस्तेमाल होने वाले पार्ट्स भी वातावारण के लिए हानिकारक साबित होते हैं। अगर कम्पनियां इस बात को ध्यान में रखते हुए माइक्रोवेव बनाएं, तो काफी बचाव हो सकता है। 

इसके अलावा शोध के दौरान एक और हैरान कर देने वाला तथ्य सामने आया, जिसके अनुसार पूरे यूरोपीय संघ में प्रति वर्ष माइक्रोवेव करीब 9।4 टेरावाट बिजली प्रति घंटे का उपभोग करते हैं। शोधकर्ताओं की राय में यह मात्रा 3 बड़े गैस बिजली संयंत्रों से सालाना उत्पन्न होने वाली बिजली के बराबर मानी जा रही है। बिजली की अधिक खपत करने से माइक्रोवेव का इस्तेमाल वातावारण पर दूसरा बड़ा अटैक कर रहा है। 

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