अब दवा के रूप में बिकेंगे चिकित्सा उपकरण, नया नियम 1 अप्रैल से लागू
By उस्मान | Published: February 12, 2020 03:04 PM2020-02-12T15:04:52+5:302020-02-12T15:04:52+5:30
यह कदम चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।
भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने सभी तरह के चिकित्सा उपकरणों को औषधि घोषित कर दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि अब सभी चिकित्सा उपकरण दवा के रूप में बेचे जाएंगे। यह फैसला एक अप्रैल, 2020 से प्रभावी होगा। यह कदम चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा तीन के खंड (ब) के उप-खंड (चार) के तहत सभी तरह के चिकित्सा उपकरणों को मंगलवार को औषधि के रूप में अधिसूचित किया।
वर्तमान में, केवल 23 चिकित्सा उपकरणों को दवाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इनमें से केवल कार्डियक स्टेंट, ड्रग इल्यूटिंग कार्डियक स्टेंट, कंडोम, सीटी स्कैन, एमआरआइ उपकरण, डेफिब्रिलेटर, डायलिसिस मशीन, पीईटी उपकरण, एक्स-रे मशीन सहित कुछ को ही मूल्य नियंत्रण में लाया गया है.
औषधि और चिकित्सा उपकरणों के तकनीकी पहलुओं पर सलाह देने के लिए गठित देश की शीर्ष परामर्श संस्था औषधि तकनीक सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) ने अप्रैल, 2019 में ही सभी चिकित्सा उपकरणों को इस कानून के दायरे में लाने की सिफारिश की थी।
इस कानून के प्रभाव में आने के बाद सभी तरह के चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन, आयात और बिक्री को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा प्रमाणित कराने की आवश्यकता होगी। अभी सिर्फ 23 तरह के चिकित्सा उपकरण ही इस कानून के तहत आते हैं।
इसका मकसद चिकित्सा उपकरणों को विनियमित करना है, जिससे कि वो गुणवत्ता के कुछ मानकों पर खरा उतरें। इसके अलावा खराब और असुरक्षित उपकरणों के लिए उनका उत्पादन करने वाली कंपनियों को जवाबदेह बनाना भी है।