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केरल में Monkey Fever से एक मौत, 6 की हालत गंभीर, जानें जानलेवा वायरस के लक्षण, बचाव, इलाज

By उस्मान | Updated: March 25, 2019 12:52 IST

Monkey Fever से केरल में साल 2015 के बाद यह पहली मौत है इस खतरनाक वायरस ने 2015 में केरल में कहर बरपाया था। उस समय 102 मामले सामने आए और 11 लोगों की बीमारी से मौत हो गई थी। साल 2016 में नौ मामले सामने आए थे।

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बंदर से इंसान में फैलने वाली जानलेवा बीमारी क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (Kyasanur Forest Disease KFD) यानी 'मंकी फीवर' (Monkey Fever) की वजह से कोझिकोड जिले के वायनाड में एक व्यक्ति की मौत से ग्रामीणों में दहशत फैल गई है। 27 वर्षीय सुंदरन का पिछले कुछ दिनों से मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। 

अधिकारीयों के अनुसार, साल 2015 के बाद 'मंकी फीवर' के कारण होने वाली यह पहली मौत है। बताया जा रहा है कि छह अन्य लोग भी इस बीमारी की चपेट में हैं और उनका मेडिकल कॉलेज में उपचार चल रहा है।

आपको बता दें कि दो साल पहले इस बीमारी ने खूब आतंक फैलाया था। साल 2013 में इस बीमारी का पहला मामला सामने आया था। इस खतरनाक वायरस ने 2015 में केरल में कहर बरपाया था। उस समय 102 मामले सामने आए और 11 लोगों की बीमारी से मौत हो गई थी। साल 2016 में नौ मामले सामने आए थे।

क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज क्या है (What is Kyasanur Forest Disease or Monkey Fever)

क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज एक घातक वायरस से फैलने वाली बीमारी है जिसका नाम 'क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज वायरस' (KFDV) है। यह वायरस  Flaviviridae फैमिली से है। केएफडीवी की पहचान 1957 में हुई, जब इसे कर्नाटक के क्यासानूर जंगल में इस बीमारी से पीड़ित एक बंदर मिला था। तब से, प्रति वर्ष 400-500 लोगों में इसके मामले देखने को मिलते हैं।

क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज के लक्षण (Symptoms of Kyasanur Forest Disease or Monkey Fever)

-सर्दी लगना- बुखार- सिरदर्द - मांसपेशियों में दर्द- उल्टी- पेट की समस्याएं- ब्लीडिंग

इंसानों में कैसे फैलता है मंकी फीवर (how to spread monkey fever)

हार्ड टिक्स (हेमाफिसैलिस स्पिनिगेरा) केएफडी वायरस के भंडार हैं और एक बार संक्रमित होने पर, जीवन के लिए बने रहते हैं। संक्रमित जानवरों द्वारा काटे जाने के बाद KFDV वायरस तेजी से फैलते हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि यह वायरस इंसान से इंसान को नहीं फैलता है। 

मंकी फीवर का इलाज (treatment for monkey fever)

पीसीआर या खून से वायरस को अलग करके बीमारी के प्रारंभिक चरण में निदान किया जा सकता है। बाद में, एंजाइम से जुड़े इम्युनोसोर्बेंट सेरोगेलिक परख (एलिसा) का उपयोग करके सेरोग्लोबिक परीक्षण किया जा सकता है। केएफडी के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन शुरुआती लक्षणों के आधार पर मरीज को अस्पताल में भर्ती करके सहायक उपचार दिया जाता है। 

मंकी फीवर से बचाव (prevention of monkey fever)

केएफडी के लिए एक टीका मौजूद है और इसका उपयोग भारत के स्थानिक क्षेत्रों में किया जाता है। अतिरिक्त निवारक उपायों में कीट रिपेलेंट्स और उन क्षेत्रों में सुरक्षात्मक कपड़े पहनना शामिल है जहां टिक एंडेमिक हैं।

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