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IIT Madras के रिसर्चर्स को मिली बड़ी कामयाबी, बनाया ऐसा उपकरण जिससे कैंसर के लिए जिम्मेदार जीन्स का लग सकता है आसानी से पता

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 7, 2022 16:20 IST

इस उपकरण पर बोलते हुए आईआईटी-मद्रास ने कहा कि अनुसंधानकर्ताओं द्वारा विकसित इस पिवोट के जरिए ऐसे जीन्स का पता लगाया जा सकता है जिनके कारण किसी को कैंसर होता है।

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ठळक मुद्देआईआईटी मद्रास ने कैंसर की पहचान के लिए एक नए उपकरण को विकसित किया है। इस उपकरण से कैंसर के इलाज में काफी मदद मिल सकती है।आईआईटी मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं के लिए यह एक बड़ी उपलब्धी है।

चेन्नई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जो कैंसर के लिए जिम्मेदार जीन्स का पहले ही पता लगा सकता है। आईआईटी-मद्रास ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी है। 

आईआईटी मद्रास ने क्या उपकरण विकसित किया है

आईआईटी मद्रास ने यहां बताया कि अनुसंधानकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमता पर आधारित उपकरण ‘पिवोट’ विकसित किया है जो किसी व्यक्ति में कैंसर के लिए जिम्मेदार जीन्स का पता लगा सकता है। इस उपकरण से कैंसर के इलाज में मदद मिल सकती है। 

एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, आईआईटी-मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा विकसित पिवोट को ऐसे जीन्स का पता लगाने के लिए बनाया गया है जिनके कारण कैंसर होता है। 

यह उपकरण जीन्स के उत्परिवर्तन और व्यवहार पर रखता है नजर

यह एक ऐसे मॉडल पर आधारित है जो जीन्स के उत्परिवर्तन, उसके व्यवहार में बदलाव पर नजर रखता है। यह शोध पत्रिका ‘फ्रंटियर इन जेनेटिक्स’ में प्रकाशित हुआ है। आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कैंसर दुनियाभर में होने वाली मौतों की प्रमुख वजह है। 

नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य में बेहतरी के लिए भी आईआईटी मद्रास ने काम किया है

वहीं इससे पहले नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य बेहतर करने के लिए भारतीय प्रौद्यागिकी संस्थान, मद्रास (आईआईटी-मद्रास) के शोधार्थी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ काम कर रहे हैं क्योंकि स्वास्थ्य कर्मी राज्य के ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 

इसी साल नवजात शिशुओं में मृत्यु दर को घटाने के लिए आईआईटी-मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी कामकोटी व अन्य की मौजूदगी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (तमिलनाडु) के निदेशक दारेज अहमद द्वारा हाल में एक परियोजना रिपोर्ट ‘स्मार्ट एनआरपी’ (नवजात पुनर्जीवन कार्यक्रम) जारी की गई है।

 प्रेस विज्ञप्ति में आईआईटी मद्रास ने क्या कहा था

उस समय आईआईटी मद्रास ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा था, ‘‘वर्चुअल वास्तविकता, कृत्रिम बुद्धिमत्ता/मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करते हुए स्मार्ट एनआरपी उपकरण का उपयोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत तमिलनाडु में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा। इसे उन राज्यों में भी अपनाया जाएगा जहां नवजात शिशु मृत्यु दर बहुत अधिक है।’’ 

हर 100 जन्म लिए हुए बच्चों में से 40 की मौत हो जाती है- अहमद 

इस पर अहमद ने कहा, ‘‘यदि आप शिशु मृत्यु दर को देखें, तो नवजात शिशु मृत्यु दर (जन्म के 28 दिन के अंदर होने वाली मौत) में इसकी सर्वाधिक भूमिका है। प्रति 1,000 जन्म पर करीब 40 शिशु की मौत हो जाती है। हम इसे घटा कर एकल अंक पर लाना चाहते हैं और यह सभी पहल इसी दिशा में हैं।’’ 

उन्होंने आगे कहा, ‘‘आईआईटी मद्रास को दुर्घटना में घायलों का इलाज करने जैसे अन्य क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए उपकरण विकसित करना चाहिए।’’ 

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