पुराने से पुराने कब्ज की दवा : कब्ज और बवासीर का घरेलू इलाज है देसी घी, जल्दी राहत पाने के लिए इस चीज के साथ करें सेवन
By उस्मान | Published: September 28, 2020 04:12 PM2020-09-28T16:12:13+5:302020-09-28T16:12:13+5:30
कब्ज और बवासीर का इलाज : अपने खाने में इन चीजों को शामिल करें और इन रोगों से छुटकारा पाएं
क्या आप मल पास करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं? क्या आप भूख, सूजन, मतली आदि का सामना कर रहे हैं? यदि हाँ, तो आप कब्ज से पीड़ित हैं। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है जैसे खाने में फाइबर की कमी और फिजिकल एक्टिविटी नहीं करना, इसके सबसे बड़े कारण हैं।
देसी घी है कब्ज का रामबाण इलाज
आप आयुर्वेदिक तरीके से कब्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आप एक गिलास गर्म पानी के साथ घी का एक बड़ा चम्मच लेना चाहिए। इस मिश्रण से लाभ प्राप्त करने के लिए, आपको इसका सही तरीके से सेवन करने की आवश्यकता है।
घी ब्यूटिरिक एसिड से भरा होता है और इसे चयापचय में सुधार करने के लिए जाना जाता है। इसके सेवन से मल त्याग को सही करने और कब्ज और इसके लक्षणों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
यह आपके शरीर को चिकनाई प्रदान करके आंतों की सफाई करने में मदद करता है। रोजाना सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ घी का सेवन करने से आपको कब्ज के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
कब्ज क्यों होता है
कब्ज तब होता है, जब पाचन तंत्र, आंत और पेट सूख जाते हैं। घी मल को आसानी से निकालने में मार्ग को सुचारू और सहायक बनाने में मदद करता है। एक प्राकृतिक रेचक होने के नाते, घी आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने, वजन घटाने में भी मदद करता है।
बवासीर को जन्म देता है कब्ज
अक्सर देखा जाता है कि लोग देर से खाते हैं, देर से सोते हैं और उठते भी देर से हैं। यही अव्यवस्थित चीजें कब्ज और बवासीर जैसी घातक बीमारी को न्योता देती है। बवासीर और कब्ज दो ऐसी बीमारियां है। जिससे निजात पाना लगभग मुश्किल हो जाता है।
कब्ज के सामान्य लक्षण
कब्ज एक ऐसी समस्या है जिससे हर तीसरा व्यक्ति पीड़ित रहता है और यही सिर मे दर्द होने का मुख्य कारण भी हैं। इस रोग के कारण कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं जैसे- अफारा, पेट में दर्द, गैस बनना, सिर में दर्द, हाथ-पैरों में दर्द, अपच तथा बवासीर आदि।
कब्ज और बवासीर से बचने के लिए खायें ये चीजें
कुछ अनाज के दानों की वाह्य झिल्ली रेशेदार छिलकों से कसी होती है, जिनको मंड़ाई से भी सामान्यतः नहीं निकाला जा सकता है। इन अनाजों को मोटा अनाज कहते हैं जैसे चना, ज्वार, बाजरा, मक्का, कोदो, मडुआ, सांवा, रागी, कुटकी, कंगनी आदि।
देहाती भोजन समझकर जिन मोटे अनाजों को रसोई से कभी का बाहर किया जा चुका है, अब वैज्ञानिक शोध से बार-बार उनकी पौष्टिकता को प्रमाणित किया जा रहा है।
तमाम बड़ी कंपनियां अब मोटे अनाजों के पैकेट बाजार में उतार रही हैं। कुलीन वर्ग इसे अब बड़े चाव से खरीदता है। मोटे अनाज में पल्प अधिक होता है। यह आंतों में चिपकने की बजाय आसानी से आगे बढ़ता है। इससे पेट पर कब्ज का कब्जा नहीं हो पाता।
कब्ज का नाश करता है फाइबर
चना, ज्वार, बाजरा, मक्का, कोदो, मडुआ, सांवा, रागी, कुटकी, कंगनी आदि चीजों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। जिन लोगों के आहार में फाइबर की अच्छी मात्रा शामिल है उनमें कब्ज से पीड़ित होने की संभावना काफी कम होती है।
फाइबर आंतों में जमी गंदगी को साफ करता है और मल का कड़ापन दूर करता है। इसलिए फाइबरयुक्त आहार के सेवन से कब्ज और अपच में राहत मिलती है।