सेक्स पावर बढ़ाने के लिए जबरदस्त डिमांड में है 'हिमालय वियाग्रा', कीमत है 70 लाख रुपये किलो

By उस्मान | Published: July 30, 2018 12:47 PM2018-07-30T12:47:13+5:302018-07-30T12:47:13+5:30

ऐसा माना जाता है कि इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल लिबिडो को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह मनुष्यों के लिए एक शक्तिशाली कामोत्तेजक औषधि है।   

Himalayan Viagra Do you Know Benefits, Uses, & Pirce of Yarsagumba in hindi | सेक्स पावर बढ़ाने के लिए जबरदस्त डिमांड में है 'हिमालय वियाग्रा', कीमत है 70 लाख रुपये किलो

सेक्स पावर बढ़ाने के लिए जबरदस्त डिमांड में है 'हिमालय वियाग्रा', कीमत है 70 लाख रुपये किलो

सेक्स क्षमता बढ़ाने के लिए बाजार में कई तरह के नुस्खे मौजूद हैं। लेकिन आजकल पुरुष यौन उत्तेजना बढ़ाने के लिए वियाग्रा का सबसे अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर वियाग्रा को छोड़ दिया जाए, तो कई ऐसी जड़ी बूटियां भी हैं, जो सेक्स ड्राइव बढ़ाने में काफी मदगार साबित हो सकती हैं। पिछले कुछ सालों से एक खास जड़ी बूटी का पुरुषों में ऊर्जा और यौन उत्तेजना बढ़ाने के लिए तेजी से इस्तेमाल हो रहा है। इस जड़ी बूटी का नाम है 'यारशागुंबा' जिसे हिमालय वियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है। आपको जानकार हैरानी होगी कि यह जड़ी बूटी लाखों करोड़ों रुपये किलो मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल लिबिडो को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह मनुष्यों के लिए एक शक्तिशाली कामोत्तेजक औषधि है।   

यारशागुंबा क्या है?

सामान्य तौर पर समझें तो ये एक तरह का जंगली मशरूम है जो एक खास कीड़े की इल्लियों यानी कैटरपिलर्स को मारकर उसपर पनपता है। इस जड़ी का वैज्ञानिक नाम है कॉर्डिसेप्स साइनेसिस और जिस कीड़े के कैटरपिलर्स पर ये उगता है उसका नाम है हैपिलस फैब्रिकस। विभिन्न स्थानों पर इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इसे यारचगुम्बा, यत्सा गनबू, यार्त्सा गनबा, यत्सुगुंबू और कीड़ा जड़ी नाम से जानते हैं।  तिब्बत में 'यत्सा गनबू' का अर्थ है 'ग्रीष्मकालीन घास सर्दी कीड़ा'। इसे कीड़ा-जड़ी इसलिए कहते हैं क्योंकि ये आधा कीड़ा है और आधा जड़ी है और चीन-तिब्बत में इसे यारशागुंबा कहा जाता है। सबसे आसान भाषा में इसे हिमालय वियाग्रा के नाम से जानते हैं।

यारशागुंबा कहां पाया जाता है?

भारत, नेपाल, भूटान और तिब्बत में यह जड़ी बूटी हिमालय के सबसे ऊंचे स्थानों में पाई जाती है। फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून की एक रिसर्च के अनुसार, यह जड़ी 3500 मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में पाई जाती है जहां ट्रीलाइन खत्म हो जाती है यानी जहां के बाद पेड़ उगने बंद हो जाते हैं। मई से जुलाई में जब बर्फ पिघलती है तो इसके पनपने का चक्र शुरू जाता है। ये नरम घास के बिल्कुल अंदर छुपा होता है और बड़ी कठिनाई से ही पहचाना जा सकता है। 

'पलंगतोड़' पान क्या है, क्या सच में इसे खाने से सेक्स पावर बढ़ती है?

ऐसे बनती है यारशागुंबा

एक परजीवी फफूंद कैटरपिलर पर हमला कर मिट्टी के नीचे ममी बना देता है। बाद में मरे हुए कैटरपिलर के सिरे से एक फफूंद उगती है। इसी से यारशागुंबा बनता है। यह कीड़ा भूरे रंग का होता है जिसकी लम्बाई लगभग 2 इंच होती है। यह कीड़ा यहां उगने वाले कुछ खास किस्म के पौधों पर ही पैदा होते हैं। जिसे बड़ी ही मुश्किल से ढूंढा जाता है।

लोगों को इस जड़ी बूटी के बारे में कैसे पता चला?

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह करामाती जड़ी सुर्खियों में न आती, अगर इसकी तलाश को लेकर हाल के समय में मारामारी न मचती और ये सबसे पहले हुआ स्टुअटगार्ड विश्व चैंपियनशिप में 1500 मीटर, तीन हज़ार मीटर और दस हज़ार मीटर वर्ग में चीन की महिला एथलीटों के रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन के बाद। उनकी ट्रेनर मा जुनरेन ने पत्रकारों को बयान दिया कि उन्हें यारशागुंबा का नियमित रूप से सेवन कराया गया है। एक अन्य वेबसाइट के अनुसार, बताया जाता है कि इस दवा का पता भारत में सबसे पहले इन्द्र सिंह राईपा नाम के एक व्यक्ति को चला। जो कुछ नेपाली युवकों को लेकर दवा को लेकर आया और इसे बेचना शुरु किया। बीजिंग ओलम्पिक तो जैसे इस जड़ी को बेचने वालों के लिए पैसे बनाने की मशीन बन गया। इस दौरान यारशागुंबा की खूब खपत हुई। 

यारशागुंबा का इस्तेमाल

एक्सपर्ट मानते हैं कि इस फंगस में प्रोटीन, पेपटाइड्स, अमीनो एसिड, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसका पारंपरिक औषधि की तैयारी में इस्तेमाल किया जाता है। इसका विवरण पारंपरिक तिब्बती और चीनी चिकित्सा साहित्य में मौजूद है। ऊर्जा और शक्ति हासिल करने के लिए इसे टॉनिक के रूप में सेवन किया जाता है। इसे इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा इससे किडनी और फेफड़े मजबूत बनते हैं और यह अस्थमा, पित्त रोग और कैंसर के लिए उपयोगी है। ऐसा भी माना जाता है कि यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने और सिरदर्द और दांतों के इलाज में भी प्रभावी है।

यारशागुंबा की कीमत

जर्नल बायोलॉजिकल कंजर्वेशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इसे चीन में सबसे ज्यादा बेचा जाता है। शंघाई में सिर्फ एक ग्राम यारशागुंबा की कीमत 100 डॉलर यानी 6,875 रुपये है जबकि काठमांडू में इसकी एक ग्राम की कीमत 45 डॉलर यानी लगभग 3000 रुपये है। अगर किलोग्राम की बात करें, तो चीन में इसकी कीमत 6875000 प्रति किलोग्राम है। इस हिसाब से नेपाल में इसकी कीमत 3100000 रुपये हुई।

इस बात का रखें ध्यान

दिल्ली के मशहूर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर विनोद रैना के अनुसार, इस जड़ी बूटी का भारत में मेडिकल जगत में इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। क्योंकि यह नेपाल, तिब्बत और चीन देशों में मिलती है तो इसकी प्रमाणिकता पर सवाल उठता है। इसकी प्रामाणिकता को लेकर अभी कई रिसर्च होनी अभी बाकी हैं। इसलिए अगर अपनी सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करने जा रहे हैं, तो आपको एक बार किसी एक्सपर्ट से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

(फोटो- सोशल मीडिया) 

Web Title: Himalayan Viagra Do you Know Benefits, Uses, & Pirce of Yarsagumba in hindi

स्वास्थ्य से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे