कंठ रोग, मुंह के छाले, कमर दर्द जैसे 8 रोगों की दवा है ये पौधा, वीर्य रोग, बांझपन से भी दिलाता है मुक्ति
By उस्मान | Published: August 16, 2019 03:41 PM2019-08-16T15:41:01+5:302019-08-16T15:41:01+5:30
बबूल अपने अद्भुत लाभों के अलावा पोषक तत्व जैसे विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्त्रोत है। यह आयरन, मैंगनीज़, प्रोटीन, जिंक का भंडार है।
बबूल के पेड़ को स्थानीय भाषा में देशी कीकर कहा जाता है। इस पेड़ को आयुर्वेद की दृष्टि से बहुत ही उपयोगी माना जाता है। इसमें औषधीय गुण होते हैं जिस वजह से इसका इस्तेमाल कई रोगों के इलाज में किया जाता है। बबूल अपने अद्भुत लाभों के अलावा पोषक तत्व जैसे विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्त्रोत है। यह आयरन, मैंगनीज़, प्रोटीन, जिंक का भंडार है। चलिए जानते हैं इससे सेहत को क्या-क्या फायदे होते हैं।
1) जोड़ों का दर्द करता है खत्म
बबूल का उपयोग घुटनों का दर्द मिटाने के काम आता है। इसका उपयोग करने के लिए आप बबूल की फली को धूप में सुखाकर पाउडर बना लें और दिन में दो से तीन बार घुटनों पर लगाएं। ऐसा करने पर जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
2) बांझपन दूर करना
बबूल के पेड़ के तने से एक फोडा सा निकलता है जिसे बांदा भी कहा जाता है इसे पीसकर और छाया में सुखाकर चूर्ण बना ले एंव इस चूर्ण को तीन ग्राम की मात्रा में माहवारी के खत्म होने के अगले दिन से तीन दिनो तक सेवन करे।
3) वीर्य रोग (धातु रोग) में सहायक
बबूल की फली को छाया में सुखाकर पीस लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम रोज पानी के साथ लें। इससे वीर्य के विकार ठीक होते हैं। बबूल के गोंद को घी में तलें। इसको खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है।
4) कमर दर्द से दिलाता है आराम
कमर दर्द में बबूल से फायदा लेने के लिए बबूल की छाल, कीकर की फली और गोंद को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से कमर दर्द से आराम मिलता है।
5) भूख बढ़ाने में सहायक
भूख की कमी या भोजन से अरुचि की समस्या को ठीक करने के लिए बबूल या कीकर की फली का अचार लें। इसमें सेंधा नमक मिलाकर खिलाएं। इससे भूख बढ़ती है, और जठराग्नि प्रदीप्त होती है।
6) मुंह के छालों को दूर करने में सहायक
बबूल का उपयोग मुंह में छाले मिटाने के लिए किया जाता है इसके लिए आपको बबूल की छाल को सूखाकर चूर्ण बनाना होगो एवं छाले वाली जगह पर यह चूर्ण लगा ले ऐसा करने पर छाले कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाऐगे।
7) गले के रोग से दिलाता है निजात
बबूल के पत्ते और छाल एवं बड़ की छाल लें। सबको बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छानकर रख लें। इससे कुल्ला (गरारा) करने से गले के रोग मिट जाते हैं। इसके अलावा बबूल की छाल के काढ़ा से गरारा करें। इससे भी कंठ के रोग में लाभ होता है।
8) सीने की जलन को कम करने में
सीने में जलन को कम करने के लिए आप बबूल की पत्ती का उपयोग कर सकते है इसके लिए आप बबूल की पत्तियो को उबाल कर दिन में 3 से बार पीने से सीने की जलन मिटाने में उपयोग किया जाता है।