ऑर्गन डोनेशन कौन, किसे, कब और कैसे कर सकता है? यह है पूरी प्रक्रिया

By उस्मान | Published: April 18, 2018 04:39 PM2018-04-18T16:39:35+5:302018-04-18T16:39:35+5:30

आपको बता दें कि ऑर्गन डोनेशन ऐक्ट 1994 के नियमों के मुताबिक अंगदान सिर्फ उसी अस्पताल में ही किया जा सकता है, जहां उसे ट्रांसप्लांट करने की भी सुविधा हो।

facts about organ donation you should know | ऑर्गन डोनेशन कौन, किसे, कब और कैसे कर सकता है? यह है पूरी प्रक्रिया

ऑर्गन डोनेशन कौन, किसे, कब और कैसे कर सकता है? यह है पूरी प्रक्रिया

ऑर्गन डोनेशन यानी अंगदान एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक इंसान (मृत और कभी-कभी जीवित भी) से अंगों को किसी दूसरे जरूरतमंद इंसान में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। इस तरह अंगदान से किसी दूसरे शख्स की जिंदगी को बचाया जा सकता है। अंगदान कैसे किया जाता है? यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब सभी लोगों को नहीं पता है। कई लोग सिर्फ इतना जानते हैं कि अगर किसी को अपना कोई अंगदान करना है, तो उसे ऑर्गन डोनेशन सेंटर को फोन करके बताना होता है। लेकिन आपको बता दें कि ऑर्गन डोनेशन ऐक्ट 1994 के नियमों के मुताबिक अंगदान सिर्फ उसी अस्पताल में ही किया जा सकता है, जहां उसे ट्रांसप्लांट करने की भी सुविधा हो। 

कई बार ऑर्गन मैच होना ही बड़ी चुनौती साबित होती है और कई बार सही मैच नहीं मिलने के कारण रोगी की मौत तक हो जाती है। ऑर्गन डोनेशन क्या होता है? डोनर कौन हो सकता है? कोई भी व्यक्ति ऑर्गन डोनर कब कर सकता है और इसकी क्या प्रक्रिया होती है? यह ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब आपको जानना जरूरी है। ऑर्गन एंड बॉडी डोनेशन की ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉक्टर शीतल जोशी  आपको ऑर्गन डोनेशन से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी दे रहे हैं।

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1) सबसे पहली बात ये है कि अंगदान केवल ब्रेन स्पेम डेथ के मामले में ही होता है और इस स्थिति को व्यक्ति की मौत के बाद अस्पताल ही घोषित कर सकता है।

2) ये वही अस्पताल होता है, जहां मृतक का इलाज चल रहा था और यह हॉस्पिटल ऑर्गन डोनेशन के मामले में रजिस्टर होना चाहिए। इस काम को उसके सलाहकारों, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर और डॉक्टर की देखरेख में किया जाता है।

3) जब आप अंगदान करने की इच्छा बनाते हैं, तो आपको रजिस्टर कराने पर उस संगठन से एक कार्ड मिलता है, जो ये दर्शाता है कि आपने अंगदान करने का इरादा बनाया है। इसके लिए आप कुछ एनजीओ, मेडिकल कॉलेज और सरकारी हॉस्पिटल से संपर्क कर सकते हैं जो ऑर्गन डोनेशन के लिए रजिस्टर हैं। 

4) ये जरूरी नहीं है कि जिस संगठन को आप अंगदान करना चाहते हैं, वो इससे संबंधित सही प्रक्रिया की जानकारी रखता हो।

5) दरअसल अस्पताल परिवार और डोनर के सलाहकार से संपर्क करता है और परिवार का दृष्टिकोण जानता है। अस्पताल की समिति व्यक्ति के ब्रेन डेथ की घोषणा के बाद ये प्रक्रिया संभालती है।

6) भारत में वर्तमान में डोनर के परिजन ये तय करते हैं कि वो अंगदान करना चाहता है या नहीं। यहां तक कि अगर आपने अंगदान करने का वादा किया है, तो भी परिजनों की मंजूरी के बिना अंगदान नहीं किया जा सकता है।

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7) ऑर्गन डोनर कहीं भी रजिस्टर कराने से पहले अपने परिवार से चर्चा जरूर कर ले। ताकि वो आपकी मृत्यु के बाद आपकी इच्छा को पूरी कर सकें।

8) कई ऐसे मामले भी देखे गए हैं, जब परिजनों ने अंगदान के लिए मना कर दिया, क्योंकि मृतक ने उन्हें कभी इस संबंध में नहीं बताया था। इस स्थिति में अंगदान करने का फैसला लेना उनके लिए मुश्किल होता है।

9) अंगदान के लिए पंजीकरण कराने और डोनर कार्ड मिलने का ये मतलब नहीं है कि आप कानून के दायरे में आ गए हो। यह महज आपकी इच्छा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपको कहां से डोनर कार्ड मिलता है।

10) यह कार्ड सिर्फ इस बात का प्रतीक है कि आप अंग दान करना चाहते हैं। इसलिए इसे हमेशा अपने साथ रखे और अपनी इच्छा को दोस्तों और परिजनों को बताएं। 

(फोटो- पिक्साबे) 

Web Title: facts about organ donation you should know

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